केंद्र की एफपीओ योजना से 30 लाख किसान जुड़े, योजना से लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं जुड़ी
किसानों को संगठित करके उन्हें उनकी फसल का उचित लाभ दिलाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई एफपीओ यानि किसान उत्पादक संगठन ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। केंद्र की योजना से देश में 30 लाख किसानों की संख्या पहुंच गई जुड़ चुके हैं, जिनमें से लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं हैं।कृषि मंत्रालय ने बताया कि ये एफपीओ अब कृषि क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपये का कारोबार कर रहे हैं।
10,000वें एफपीओ का शुभारंभ
हाल ही में, बिहार के भागलपुर में पीएम-किसान की 19वीं किस्त जारी करने के अवसर पर, प्रधान पीएम मोदी ने 10,000वें एफपीओ का शुभारंभ किया, जिसे राज्य के खगड़िया जिले में पंजीकृत किया गया है और यह मक्का, केला और धान पर केंद्रित है। इस योजना को वर्ष 2027-28 तक 6,865 करोड़ रुपए के बजट परिव्यय के साथ शुरू किया गया था। योजना की शुरुआत के बाद से, 4,761 एफपीओ को 254.4 करोड़ रुपए के प्रतिभूति अनुदान जारी किए गए हैं और 1,900 एफपीओ को 453 करोड़ रुपए का क्रेडिट गारंटी कवर जारी किया गया है। एफपीओ पंजीकृत संस्थाएं हैं, जिनका गठन कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के उत्पादन और विपणन में पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं के माध्यम से सामूहिक लाभ उठाने के लिए किया जाता है।
एफपीओ 2 करोड़ रुपये तक के परियोजना ऋण की गारंटी
एफपीओ केवल संगठन नहीं हैं, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने और छोटे किसानों को महत्वपूर्ण बाजार लाभ, मोल-भाव की शक्ति और बाजार पहुंच में सुधार के लिए सीधी पहुंच प्रदान करने वाला एक महत्वपूर्ण मंच है। इस योजना के अंतर्गत गठित प्रत्येक नए एफपीओ को पांच साल की अवधि के लिए हैंडहोल्डिंग समर्थन और योजना के अंतर्गत प्रत्येक एफपीओ को 3 साल के लिए प्रबंधन लागत के लिए 18 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त एफपीओ के प्रत्येक किसान सदस्य को 2,000 रुपए का प्रतिभूति अनुदान दिया जाएगा, जिसकी सीमा प्रति एफपीओ 15.00 लाख रुपये होगी और एफपीओ की संस्थागत ऋण पहुंच सुनिश्चित करने के लिए पात्र ऋणदाता संस्थानों से प्रति एफपीओ 2 करोड़ रुपये तक के परियोजना ऋण की गारंटी सुविधा दी जाएगी।
एफपीओ क्या हैं?
किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) कंपनी अधिनियम के भाग IXA के सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत निगमित/पंजीकृत किसान-उत्पादक संगठन को संदर्भित करता है और कृषि तथा संबद्ध क्षेत्र के उत्पादन और विपणन में पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं के माध्यम से सामूहिक लाभ उठाने के उद्देश्य से इनका गठन किया गया है।
किसान उत्पादक संगठनों के पीछे की अवधारणा यह है कि किसान जो कृषि उत्पादों को पैदा करते हैं वे अपना समूह बना सकें। इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए कृषि मंत्रालय के कृषि और सहकारिता विभाग ने लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ (एसएफएसी) को किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन में राज्य सरकारों का समर्थन करने के लिए अधिकृत किया था।
“10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन” योजना का मुख्य उद्देश्य उत्पादन और विपणन में पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का लाभ उठाना है, ताकि कुशल, लागत प्रभावी और सतत संसाधन उपयोग के माध्यम से उत्पादकता को बढ़ाया जा सके, ताकि स्थायी आय-उन्मुख खेती सुनिश्चित की जा सके, जिससे कृषि उत्पादन की लागत में कमी आए और किसानों की आय में वृद्धि हो।
एफपीओ की आवश्यकता
छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों को कृषि उत्पादन चरण के दौरान प्रौद्योगिकी, गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक और कीटनाशकों तक पहुंच और आवश्यक वित्त आदि चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
आर्थिक तंगी के कारण उन्हें अपनी उपज के विपणन में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
एफपीओ ऐसे छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों को सामूहिक रूप से संगठित करने में मदद करते हैं। एफपीओ के सदस्य अपनी आय में तेजी से वृद्धि के लिए प्रौद्योगिकी, इनपुट, वित्त और बाजार तक बेहतर पहुंच प्राप्त करने के लिए संगठन में एक साथ अपनी गतिविधियों का प्रबंधन करेंगे।