सतर्कता ही बचाव: मोबाइल पर हमारी एक्टिविटी को समझ रहे अपराधी, एआई का कर रहे इस्तेमाल

सतर्कता ही बचाव: मोबाइल पर हमारी एक्टिविटी को समझ रहे अपराधी, एआई का कर रहे इस्तेमाल

पर्यटन, स्कूल-कॉलेज या रेंटल कार जैसी सामान्य जानकारियों की खोज करने पर उनसे संबंधित विज्ञापन और डेटा सोशल मीडिया पर दिखने लगते हैं। सायबर अपराधी एआई का इस्तेमाल कर हमारी आदतों और गोपनीय जानकारी जुटाकर अपना दांव चल रहे हैं। इससे बचने के लिए सतर्क रहना जरूरी।By Shashank Shekhar Bajpai Publish Date: Mon, 30 Dec 2024 03:26:58 PM (IST)Updated Date: Mon, 30 Dec 2024 03:37:26 PM (IST)डिजिटल प्लेटफार्म पर साझा की गई जानकारी और सायबर फुटप्रिंट को ट्रैक कर रहे हैं अपराधी।HighLightsसावधानी और जागरूकता ही हमारा सुरक्षा कवच। बिलासपुर में साइबर अपराधी लोगों से कर रहे ठगी। डिजिटल प्लेटफार्म पर जानकारी साझा करने से बचें।नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। आधुनिक जीवनशैली के बीच साइबर ठगी की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। जिससे हर वर्ग परेशान है। गृह मंत्रालय द्वारा प्रत्येक टेलीफोन काल पर सतर्कता के संदेश भी दिए जा रहे हैं। फिर भी साइबर अपराधी लोगों को नई-नई तरकीबों से ठगने में सफल हो रहे हैं।इस स्थिति से निपटने के लिए जागरूकता और सतर्कता अनिवार्य हैं। साइबर ठगी का मुख्य कारण हमारी निजता का हनन और डिजिटल प्लेटफार्म पर जानकारी साझा करने की लापरवाही है। पर्यटन, स्कूल-कॉलेज या रेंटल कार जैसी सामान्य जानकारियों की खोज करने पर उनसे संबंधित विज्ञापन और डेटा सोशल मीडिया पर स्वतः दिखने लगते हैं।AI का इस्तेमाल कर रहे हैं अपराधी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से साइबर अपराधी हमारी आदतों और गोपनीयता तक पहुंच बना लेते हैं। सावधानी और जागरूकता ही हमारी सुरक्षा का सबसे मजबूत कवच है। सटीक निर्णय और सतर्कता से हम साइबर अपराधियों के जाल से बच सकते हैं।सामान्य ठगी के प्रकार फर्जी ईमेल और कॉल: बैंक या सरकारी विभाग के नाम से ईमेल भेजकर डराने और त्रुटियों को ठीक करने के नाम पर पैसे मांगना।फर्जी एप और ओटीपी: अनजान नंबर से आए फोन या ईमेल पर अपलोड लिंक या ओटीपी साझा करने की गलती से बचें।आपात स्थितियों का बहाना: स्वजनों के एक्सीडेंट या बीमारियों की झूठी सूचना देकर मदद के नाम पर पैसे मांगना।कोरियर ठगी: कस्टम जब्ती और कार्रवाई का डर दिखाकर पैसे ऐंठना। पुलिस कार्रवाई के नाम पर भी धमकाते हैं।फर्जी सोशल मीडिया आईडी: दोस्तों और रिश्तेदारों के नाम से फर्जी आईडी बनाकर आर्थिक मदद मांगना।यह भी पढ़ें- अश्लील वीडियो देखती हो, महिला थाने में दर्ज हुआ है केस; पैसे डालो वर्ना…, ठगने से ऐसे बची युवतीबचने के लिए अपनाएं ये उपाय किसी भी अज्ञात फोन कॉल या ईमेल पर तुरंत विश्वास न करें। पहले उसके सही होने की पुष्टि करें। कभी भी ओटीपी, बैंक विवरण या अन्य गोपनीय जानकारी किसी के भी साथ साझा करने से बचें। अनावश्यक दबाव या डर के माहौल में कोई भी निर्णय लेने से बचें। किसी जानकार से मदद मांगे। गलतफहमी होने पर डरें नहीं, तुरंत साइबर पुलिस या हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत कराएं। यह भी पढ़ें- शोर नहीं करना, कटघोरा के जंगल में बाघिन फरमा रही है आरामडरें नहीं, समझदारी से लें काम साइबर ठगी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है लोभ-लालच और भय पर नियंत्रण रखना। जब आप गलत काम नहीं कर रहे हैं, तो किसी दबाव में आने की जरूरत नहीं। समझदारी से काम लें, संयम रखें। -ललित अग्रवाल, बैंकर्स क्लब समन्वयक, बिलासपुर

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