देश की आर्थिक विकास दर को तेज करने के लिए सरकार को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) से जुड़े क्षेत्रों में सुधार करने की आवश्यकता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में यह जानकारी दी गई है कि एमएसएमई को अधिक दक्षता और कम लागत के साथ काम करने में सक्षम बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को नई नीतियां और सुधार लागू करने होंगे। रिपोर्ट में कहा गया कि एमएसएमई सेक्टर पर अधिक नियामक बोझ होने से ऑपरेशनल लागत बढ़ जाती है जिससे व्यवसायों के लिए कम लागत में कार्य करना मुश्किल हो जाता है। इस बोझ को कम करने के लिए सरकार को कदम उठाने होंगे ताकि व्यवसायों को अपनी क्षमता को बढ़ाने और नई विकास योजनाओं को अपनाने का अवसर मिल सके।
आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां लागू की हैं हालांकि फिर भी कई चुनौतियां जैसे ज्यादा नियमों और जटिल प्रक्रियाओं का होना, रोजगार वृद्धि की धीमी गति, और नई तकनीकों और इनोवेशन को अपनाने में रुकावटें बनी हुई हैं। इसके अलावा, भारत में अधिकतर एमएसएमई कंपनियां छोटी ही रह जाती हैं।
केंद्र सरकार ने एमएसएमई सेक्टर के लिए सुधारों की दिशा में जिनमें कराधान प्रणाली को सरल बनाना, श्रम कानूनों में बदलाव, और व्यापार कानूनों को अपराधमुक्त बनाने जैसे कई अहम कदम उठाए हैं। इसके अलावा, राज्य सरकारें भी नियमों को आसान बनाने और प्रक्रियाओं को डिजिटलीकरण करने की दिशा में काम कर रही हैं ताकि एमएसएमई को तेजी से बढ़ने का अवसर मिले। आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0 को राज्य सरकारों की अगुवाई में लागू करना होगा ताकि व्यवसायों के सामने आ रही मुश्किलों को हल किया जा सके। इस प्रकार, एमएसएमई सेक्टर को अधिक स्वतंत्रता और बेहतर नीतिगत समर्थन देने से देश की आर्थिक वृद्धि को गति मिल सकती है और रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं।