औषधीय पौधों के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने पहल की है। आयुष मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने “शतावरी- बेहतर स्वास्थ्य के लिए” नामक एक प्रजाति-विशिष्ट अभियान शुरू किया गया।
इस अवसर पर राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव ने पिछले एक दशक में आयुष मंत्रालय की महत्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डाला और आयुष मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने शतावरी के बारे में जागरुकता को बढ़ावा देने के लिए इस नई पहल को शुरू करने के लिए एनएमपीबी का आभार जताया। मंत्री ने एनएमपीबी के पिछले सफल अभियानों का भी उल्लेख किया, जिनमें आंवला, मोरिंगा, गिलोय और अश्वगंधा के लिए अभियान शामिल हैं। इन पहलों ने पूरे देश में औषधीय पौधों के स्वास्थ्य लाभों के बारे में ज्ञान फैलाने में योगदान दिया है। इस मिशन के तहत, शतावरी के पौधे को भारत में महिलाओं के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख संसाधन के रूप में पहचाना गया है। यह नागरिकों के समग्र कल्याण के व्यापक लक्ष्य से जुड़ा हुआ है।
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने औषधीय पौधों को बढ़ावा देने में एनएमपीबी की गतिविधियों और उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने औषधीय पौधों के संरक्षण, विकास और सतत प्रबंधन के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना के बारे में भी जानकारी साझा की, जो शतावरी सहित महत्वपूर्ण औषधीय प्रजातियों के दीर्घकालिक संरक्षण और खेती को सुनिश्चित करने की पहल है।
एनएमपीबी के सीईओ डॉ. महेश कुमार दाधीच ने शतावरी के औषधीय महत्व पर प्रकाश डाला। खासकर महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए इसके लाभों के लिए और इस पौधे की कृषि-आर्थिक क्षमता पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि अभियान का समर्थन करने के लिए पात्र संगठनों को 18.9 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य परिदृश्य में शतावरी के बारे में अधिक जागरुकता और व्यापक रूप से अपनाया जा सकेगा।
बता दें कि अनेक स्वास्थ्य लाभों के लिए जानी जाने वाली शतावरी विशेष रूप से महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए, अब इस अभियान के माध्यम से ध्यान केंद्रित किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह पूरे देश में व्यापक दर्शकों तक पहुंचे। यह अभियान भारत में बेहतर स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए पारंपरिक चिकित्सा और औषधीय पौधों को बढ़ावा देने के आयुष मंत्रालय के निरंतर प्रयासों में एक और महत्वपूर्ण कदम है।