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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने नई दिल्ली में विजिटर्स कॉन्फ्रेंस का किया उद्घाटन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज सोमवार को राष्ट्रपति भवन में दो दिवसीय विजिटर्स कॉन्फ्रेंस 2024-25 का उद्घाटन किया। यह कॉन्फ्रेंस उन 184 केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों के लिए आयोजित किया गया है, जिनके संरक्षक भारत के राष्ट्रपति होते हैं।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी देश का विकास उसकी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों से आग्रह किया कि वे भारत को वैश्विक ज्ञान केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि शोध (रिसर्च) पर भी ध्यान देना जरूरी है। इसके लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय अनुसंधान निधि (National Research Fund) बनाई है, जिससे उच्च शिक्षण संस्थान रिसर्च को बढ़ावा दे सकते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत के शोधकर्ता वैश्विक स्तर पर पहचान बनाएंगे, हमारे पेटेंट दुनिया को बदलेंगे, और विकसित देशों के छात्र पढ़ाई करने भारत आएंगे।

राष्ट्रपति ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारतीय छात्र दुनिया के शीर्ष संस्थानों और विकसित देशों में अपनी प्रतिभा से योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें उनकी प्रतिभा का उपयोग अपने देश के विकास में भी करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के कई उच्च शिक्षण संस्थान वैश्विक स्तर पर पहचान बना चुके हैं, लेकिन सभी संस्थानों को तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली में उत्कृष्टता के साथ-साथ सामाजिक समावेश और संवेदनशीलता भी होनी चाहिए। उन्होंने शिक्षकों और संस्थानों के प्रमुखों से अपील की कि वे छात्रों की चिंताओं को समझें, उनकी मानसिक परेशानियों को दूर करें और उन्हें नैतिक व आध्यात्मिक मजबूती दें।

राष्ट्रपति ने भारतीय वैज्ञानिक परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि यह बहुत समृद्ध रही है। उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों को जिम्मेदारी सौंपी कि वे प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली को आधुनिक संदर्भ में उपयोगी बनाने के तरीके खोजें। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्थान देश का भविष्य गढ़ते हैं। युवा छात्र अपने शिक्षकों, संस्थान प्रमुखों और वरिष्ठ छात्रों से सीखते हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुख एक विकसित भारत की नई पीढ़ी तैयार करेंगे।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने आठवें विजिटर्स अवॉर्ड्स भी प्रदान किए। इनोवेशन अवॉर्ड प्रो. सरिपेला श्रीकृष्णा (बीएचयू) को क्वांटम टेक्नोलॉजी में नवाचार के लिए दिया गया। भौतिक विज्ञान में रिसर्च अवॉर्ड प्रो. अश्विनी कुमार नांगिया (हैदराबाद विश्वविद्यालय) को सस्ती और असरदार दवाओं के विकास में उनके योगदान के लिए दिया गया। जैविक विज्ञान में रिसर्च अवॉर्ड प्रो. रीना चक्रवर्ती (दिल्ली विश्वविद्यालय) को सतत ताजे पानी की मत्स्य पालन (Sustainable Freshwater Aquaculture) और प्रो. राज कुमार (पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय) को कैंसर अनुसंधान और नई एंटी-कैंसर दवाओं के विकास के लिए दिया गया। प्रौद्योगिकी विकास अवॉर्ड डॉ. वेंकटेश्वरलु चिंताला (गति शक्ति विश्वविद्यालय) को प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल और डीजल बनाने की तकनीक विकसित करने के लिए दिया गया।

कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन यानी 4 मार्च को शिक्षा प्रणाली में सुधार को लेकर महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी, जिनमें शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में लचीलापन, क्रेडिट ट्रांसफर और मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम, शोध को उत्पाद और सेवाओं में बदलने के उपाय, नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत छात्रों की पसंद का सम्मान, और बेहतर मूल्यांकन एवं परीक्षा प्रणाली शामिल हैं।

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