द्विपक्षीय निवेश संधियों में राष्ट्रीय हितों को अनदेखा न करें मध्यस्थ: वित्त मंत्री 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नियामक शक्तियों के संबंध में राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखने तथा विवादों को सुलझाने में मध्यस्थों के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करने के लिए द्विपक्षीय निवेश संधियों (बीआईटी) की आवश्यकता पर जोर दिया है, जिससे अमीर निवेशकों को विकासशील देशों का शोषण करने से रोका जा सके। 

मध्यस्थों ने अकसर मेजबान देश के न्यायिक निर्णयों की अनदेखी की है

अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक एवं निवेश संधि मध्यस्थता पर पहले पीजी सर्टिफिकेट कोर्स के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए सीतारमण ने कहा कि मध्यस्थों ने अकसर मेजबान देश के न्यायिक निर्णयों की अनदेखी की है। उन्होंने बताया कि मध्यस्थता के नतीजे पर पहुंचते समय, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार जैसे अपराधों से संबंधित निष्कर्ष जो मेजबान देश में कानून की अदालत के माध्यम से स्थापित किए गए हैं, राज्यों को पुरस्कार स्वीकार करने के लिए विरोधाभासी स्थिति में डालते हैं।

नियामक शक्तियों में राष्ट्रीय हितों को महत्व दिया जाना चाहिए

वित्त मंत्री ने कहा, “निवेश संधि को न केवल राष्ट्रों को बेहतर विनियामक शक्तियां प्रदान करनी चाहिए, बल्कि मध्यस्थता में विश्वास बहाल करने के लिए मध्यस्थों के लिए मार्गदर्शन के रूप में भी काम करना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि निवेश संधियों में नियामक शक्तियों में राष्ट्रीय हितों को महत्व दिया जाना चाहिए।  

द्विपक्षीय निवेश संधि से संबंधित मुद्दे संप्रभुता के लिए विशिष्ट 

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) से संबंधित मुद्दे संप्रभुता के लिए विशिष्ट हैं। इस कारण से बीआईटी पर एफटीए समझौते के भाग के रूप में बातचीत करने के बजाय अकेले ही बातचीत की जानी चाहिए। वित्त मंत्री का बयान ऐसे समय पर आया है, जब भारत, यूके, सऊदी अरब, कतर और यूरोपीय यूनियन (ईयू) बीआईटी के लिए बातचीत कर रहे हैं। बजट 2025-26 में केंद्रीय वित्त मंत्री ने बीआईटी के मौजूदा मॉडल को दोबारा से बनाने की घोषणा की थी। इससे अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी।(इनपुट-आईएएनएस)

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