नोम पेन्ह. राष्ट्रपति जो बाइडन रविवार को जापान और दक्षिण कोरिया के नेताओं से मिल रहे हैं ताकि अपने परमाणु और बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों से डरा रहे उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिक्रिया व्यक्त करने में समन्वय स्थापित किया जा सके. इसके अलावा चीन के राष्ट्रपति शी चिनंिफग के साथ आमने-सामने की बैठक की पूर्व संध्या पर बाइडन ने प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रुख पर काबू पाने के लिहाज से जानकारी लेंगे.
बाइडन ने जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा से मुलाकात की और उनका दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक येओल के साथ भी बैठक का कार्यक्रम है. कंबोडिया में ‘ईस्ट एशिया समिट’ से इतर तीनों नेता एक साथ बैठेंगे. यह बैठक तब हो रही है, जब हाल के हफ्तों में उत्तर कोरिया ने दर्जनों मिसाइलें दागी हैं जिनमें 10 दिन पहले दागी गई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल भी शामिल है. इस मिसाइल के कारण उत्तरी जापान में बचाव संबंधी अलर्ट जारी करना पड़ा था. जापान ने यह भी चेतावनी दी है कि अलग-थलग पड़ा उत्तर कोरिया आने वाले हफ्तों में अपना सातवां परमाणु परीक्षण कर सकता है.
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने संवाददाताओं से शनिवार को कहा था कि बाइडन का मकसद इस बैठक का इस्तेमाल उत्तर कोरिया द्वारा उत्पन्न खतरे के प्रति तीनों देशों की संयुक्त प्रतिक्रिया को मजबूत करना है. उत्तर कोरिया को आधिकारिक रूप से डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक आॅफ कोरिया के नाम से जाना जाता है.
सुलिवन ने कहा, ‘‘असल में हम जिस चीज को देखना चाहते हैं वह यह है कि त्रिपक्षीय सुरक्षा सहयोग बढ़े जिसके लिए तीनों देश एकजुट हो रहे हैं.’’ दिसंबर 2017 के बाद से पहली बार कोरियाई प्रायद्वीप में बम वर्षक युद्धक विमान तैनात किये गये हैं. इस क्षेत्र में संयुक्त वायुसैनिक अभ्यास के दौरान कुल 240 युद्धक विमान तैनात किये गये जिनमें एफ-35 भी शामिल हैं.
बाइडन ने कहा कि उनकी योजना राष्ट्रपति पर इस बात के लिए दबाव डालने की है कि वह उत्तर कोरिया पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल उसके आक्रामक रुख को काबू में करने के लिए करें. इंडोनेशिया के बाली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर बाइडन और शी के बीच होने वाली व्यापक द्विपक्षीय वार्ता से भी यही उम्मीद की जा रही है.
बाइडन ने रविवार को संवाददाताओं से कहा कि वे ऐसा करने का फैसला लेते हैं या नहीं, यह उन पर निर्भर है. सुलिवन ने कहा कि उत्तर कोरिया की बदतर प्रवृत्तियों पर काबू पाने में सकारात्मक भूमिका निभाने के प्रति चीन की रुचि है. उन्होंने कहा, ‘‘वे इस रुचि पर काम करते है या नहीं यह स्वाभाविक रूप से उन पर निर्भर करेगा.’’ बाइडन राष्ट्रपति बनने के बाद सोमवार को चीन के राष्ट्रपति से आमने-सामने बैठकर बात करेंगे.
उइगर मुस्लिमों समेत अन्य अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार के उल्लंघन, हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं पर कहर बरपाने, दमनकारी व्यापार गतिविधियों, स्वाशासित ताइवान के खिलाफ सैन्य उकसावे और यूक्रेन के खिलाफ रूसी युद्ध पर मतभेद को लेकर बाइडन कई बार चीन की आलोचना कर चुके हैं. इसी तरह शी सरकार भी ताइवान के प्रति बाइडन प्रशासन के रुख की आलोचना कर चुकी है.
चीनी राष्ट्रपति यहां तक कह चुके हैं कि बीजिंग के बढ़ते प्रभाव को वाशिंगटन रोकना चाहता है, क्योंकि यह विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यव्था के रूप में अमेरिका को पछाड़ना चाहता है. बाइडन आॅस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ भी एक अलग बैठक में हिस्सा लेंगे. अल्बनीज ने अपने देश के खिलाफ लगे चीनी प्रतिबंधों से राहत पाने के प्रयास के तहत चीनी राष्ट्रपति शी के साथ इस हफ्ते बैठक करने का अनुरोध किया है.