जहां बच्चों को नक्सली थमाते थे बंदूक, वहां AI की मदद से बच्चे गढ़ रहे अपना भविष्य

जहां बच्चों को नक्सली थमाते थे बंदूक, वहां AI की मदद से बच्चे गढ़ रहे अपना भविष्य

दंतेवाड़ा जिले के नक्सल प्रभावित भांसी के पीएमश्री आवासीय विद्यालय पोर्टाकेबिन में बच्चों को अब पढ़ाई में रुचि होने लगी है। एआई के इस्तेमाल से बच्चे नई-नई चीजें सरल भाषा में सीख और समझ रहे हैं। नक्सलियों के गढ़ में सुरक्षा बलों की पहुंच के बाद अब यहां बच्चों के हाथ में गन की जगह गैजेट्स ले रहे हैं।By Shashank Shekhar Bajpai Publish Date: Thu, 02 Jan 2025 01:08:08 PM (IST)Updated Date: Thu, 02 Jan 2025 01:08:08 PM (IST)दंतेवाड़ा विकासखंड के भांसी पोर्टाकेबिन में बच्चों को चैट-जीपीटी से कराई जा रही है पढ़ाई। फोटो- प्रतीकात्मक।HighLights731 स्कूलों के 32 हजार विद्यार्थी डिजिटल तकनीक से दंतेवाड़ा में कर रहे पढ़ाई। पहले बच्चों को थमाते थे बंदूक, अब नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा बना एजुकेशन हब। 48 दिनों में 10 कैंप खोलकर नक्सली हिड़मा के गढ़ को सुरक्षा बलों ने भेद दिया।अनिमेष पाल, जगदलपुर। प्रकाश संश्लेषण क्या होता है? दंतेवाड़ा जिले के नक्सल प्रभावित भांसी के पीएमश्री आवासीय विद्यालय पोर्टाकेबिन में आठवीं कक्षा के छात्र विकास अटरा ने जैसे ही यह प्रश्न किया, मोबाइल में उपलब्ध चैट-जीपीटी (चैट-जेनेरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफार्मर) ने अपनी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) चैटबाट से मनकू के प्रश्न को समझकर उसे प्रकाश संश्लेषण की जानकारी दी।जिले के 731 स्कूलों के 32 हजार विद्यार्थी एआई से पढ़ रहे हैं। विकास ने दोबारा कहा कि उसे समझ नहीं आया, तो इस बार जैट-जीपीटी ने फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी देकर उसकी जिज्ञासा शांत की। विकास मसेनार गांव का रहने वाला है।शिक्षा के क्षेत्र में आ रही क्रांति नक्सलियों ने उसके गांव के स्कूल को तोड़ दिया था, इसलिए वह भांसी पोर्टाकेबिन में रहकर पढ़ाई करता है। नक्सल हिंसा से प्रभावित दंतेवाड़ा में जब एजुकेशन हब बना, तो इसकी चर्चा देशभर में हुई थी। दंतेवाड़ा में बच्चों के हाथों में नक्सली बंदूक थमाया करते थे।वहां अब नक्सल गतिविधियों के थमते ही गांव-गांव में बच्चे अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से पढ़ाई संग देश-दुनिया के बारे में जान रहे हैं। कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी और जिला पंचायत सीईओ जयंत नाहटा द्वारा शुरू किया गया यह प्रयोग नक्सल क्षेत्र में शिक्षा क्रांति लेकर आया है।सरल शिक्षा से समृद्ध हो रहा ज्ञान बर्फ क्यों जमती है? आकाश का रंग नीला क्यों है? ऐसे कई प्रश्न जो बच्चों के मन में है, पर किताब में नहीं हैं, उसकी जानकारी भी अब एआई के माध्यम से बच्चों को मिल रही है और वे अपने ज्ञान को समृद्ध कर पा रहे हैं। गीदम की संगीता कहती है कि इससे पढ़ाई करने में आनंद आता है।शिक्षक रमेश साहू कहते हैं कि दंतेवाड़ा विकासखंड के कई स्कूल में शिक्षकों की कमी है। ऐसे स्कूल में एआई से पढ़ाई शुरू करवाने पर शिक्षक के बिना भी बच्चे आसानी से विषय को समझ पा रहे हैं।सुकमा और बीजापुर में खुले नए कैंप बस्तर में पिछले 48 दिनों में दस नए कैंप स्थापित कर सुरक्षा बल ने कुख्यात नक्सली हिड़मा के गढ़ को भेद दिया है। पिछले तीन दिनों में दो नए कैंप खोले गए हैं। 29 दिसंबर को सुकमा जिले के मेटागुड़ेम व 31 दिसंबर को बीजापुर जिले के कोर्रागुट्टा में कैंप खोले गए।यह भी पढ़ें- इंस्टाग्राम पर सुसाइड का लाइव VIDEO… 19 साल की युवती ने फांसी लगाकर दी जान, प्रेम-प्रसंग का मामलाइसके साथ ही पूरा क्षेत्र छावनी में बदल दिया गया है। आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि नवस्थापित कैंपों से नक्सल विरोधी अभियान को तेज किया जाएगा। गृहमंत्री अमित शाह ने वर्ष 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे का जो लक्ष्य दिया है, उसमें सुरक्षा बल के लिए सबसे बड़ी चुनौती नक्सल कारिडोर को भेदना है।वह इसलिए क्योंकि हिड़मा सहित देश के शीर्ष नक्सल नेता यहीं रहते थे। तय रणनीति के तहत बीजापुर में तर्रेम, चिन्नागेलूर, गुंडेम व छुटवाही कैंप से आगे 13 नवंबर 2024 को कोंडापल्ली में कैंप खोलने के बाद जिड़पल्ली-1, जिड़पल्ली-2, वाटेवागु व अब कोर्रागुट्टा में कैंप स्थापित कर पामेड़ तक सड़क बनाई गई है।यह भी पढ़ें- नईदुनिया संग इंटरव्यू में छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय बोले, सत्ता की महत्वाकांक्षा नहीं, सिर्फ अच्छे काम की आकांक्षापिछले 40 साल से बंद पड़े मार्ग को खोल दिया। इसी तरह सुकमा में सिलगेर, पूवर्ती से आगे 13 नवंबर को ही तुमालपाड़ में कैंप खोलने के बाद रायगुड़ेम, गोलकुंडा, गोमगुड़ा के बाद मेटागुड़ेम में पांच नए कैंप खोलकर नक्सलियों को खदेड़ा गया है।

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