Bijapur Naxal Attack: सबक भूले जवान, इसलिए नक्सलियों को मिल गया मौका

Bijapur Naxal Attack: सबक भूले जवान, इसलिए नक्सलियों को मिल गया मौका

अबूझमाड़ में बड़े अभियान को पूरा कर लौटने के दौरान सुरक्षा बल के जवानों ने सीखे हुए बुनियादी सबक को भुलाकर चारपहिया गाड़ी का इस्तेमाल किया। यही गलती जवानों की जिंदगी पर भारी पड़ गई। इससे पहले सुरक्षा बल के जवान पैदल या बाइक के जरिये अभियान को अंजाम देते थे।By Shashank Shekhar Bajpai Publish Date: Tue, 07 Jan 2025 12:53:50 PM (IST)Updated Date: Tue, 07 Jan 2025 02:10:29 PM (IST)विस्फोट इतना जबरदस्त था कि जवानों के शवों को बटोरना पड़ा।HighLights100 किमी पैदल अभियान, फिर गाड़ी से लौट रहे थे तब हुआ बारूदी सुरंग विस्फोट। अबूझमाड़ वह क्षेत्र, जहां मिली सबसे अधिक सफलता पर रणनीति में चूक से गड़बड़ी। विस्फोट में बलिदान जवानों को अंतिम सलामी देने के बाद शव गृह नगर भेजे जाएंगे।अनिमेष पाल‌, जगदलपुर। Bijapur Naxal Attack: राज्य गठन के प्रारंभिक काल में बारूदी सुरंग विस्फोट नक्सलियों की सबसे बड़ी ताकत हुआ करती थी। इन हमलों से सबक सीखकर सुरक्षा बल ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए पैदल या बाइक पर अभियान प्रारंभ किया।इसका सफल परिणाम सामने आया और पिछले कुछ वर्ष में नक्सली कोई बड़ा हमला नहीं कर पाए। मगर, अबूझमाड़ में बड़े अभियान को पूरा कर लौटने के दौरान सुरक्षा बल के जवानों ने सीखे हुए बुनियादी सबक को भुलाकर चारपहिया गाड़ी का इस्तेमाल किया।इससे नक्सलियों को पलटवार का मौका मिल गया। नक्सलियों ने जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के जवानों की स्कॉर्पियो को विस्फोट कर उड़ा दिया। इस वारदात के पीछे इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान कमेटी के नक्सलियों का हाथ बताया जा रहा है।दंतेवाड़ा के जवानों की दो साल में दूसरी गलती दो साल पहले 26 अप्रैल 2023 को लंबे समय के बाद दंतेवाड़ा जिले के डीआरजी जवानों को जगरगुंडा मार्ग पर अरनपुर के पास विस्फोट कर उड़ाया था। इस हमले में 10 डीआरजी जवान सहित एक वाहन चालक मारा गया था। पहले के इस सबक को दंतेवाड़ा डीआरजी ने भुला दिया।यहां देखिए वीडियो…नक्सलियों के निशाने पर अब होगा अबूझमाड़ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने वर्ष 2026 तक नक्सलियों के सफाए का जो लक्ष्य दिया है, उसी के तहत बस्तर में पिछले एक वर्ष में अभियान को तेज किया गया है। पहली बार है कि फोर्स अब जंगल के भीतर घुसकर नक्सलियों को मार रही है।साल 2024 से लेकर अब तक 241 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया है। इसमें से 221 नक्सलियों के शव मिलने का दावा सुरक्षा बल कर रहे हैं। वहीं, 20 अन्य नक्सलियों के मारे जाने की बात नक्सलियों ने स्वीकारी है।इस साल केंद्रीय गृहमंत्री शाह के दौरे के बाद नक्सल अभियान को और तेज करने की बात कही गई है। इस वर्ष 30 से अधिक कैंप खोले जाएंगे। यद्यपि वर्ष 2024 में अबूझमाड़ में ही 133 नक्सलियों को ढेर किया गया था। बलिदानी जवानों को दी जाएगी अंतिम सलामी अंबेली विस्फोट बलिदानी जवानों को मंगलवार की सुबह दंतेवाड़ा स्थित कारली पुलिस लाइन मैदान में अंतिम सलामी दी जाएगी। इसके बाद बलिदानी जवानों का पार्थिव देह गृहग्राम भेजा जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार होगा।विस्फोट में मारे गए वाहन चालक (आम नागरिक) तुलेश्वर राना का जगदलपुर के आरापुर में अंतिम संस्कार होगा।बीजापुर जिले के बलिदानी जवान बुधराम कोरसा का अंतिम संस्कार बड़े तुंगाली, बामन सोढ़ी का बांगापाल में किया जाएगा।दंतेवाड़ा जिले के बलिदानी जवान सोमड़ू वेट्टी का परचेली, सुदर्शन वेट्टी का गुमलनार, सुबरनाथ यादव का छोटे तुमनार, हरीश कोर्राम का गढ़मिरी, डूम्मा मरकाम का मड़कामीरास, पण्डरू राम पोयाय का कावड़गांव में किया जाएगा।यह भी पढ़ें- Bijapur Naxal Attack Update: अमित शाह के बस्तर से लौटने के 19 दिन बाद नक्सली तांडव… जवानों के बलिदान पर राजनीति शुरूबलिदानी के अंतिम संस्कार से पहले साथी भी बलिदान सोमवार को आइईडी विस्फोट की घटना हुई। तब रविवार को अभियान के दौरान बलिदान हुए जवान सन्नू कारम का ससम्मान अंतिम संस्कार बीजापुर जिले के मिरतुर थाना क्षेत्र स्थित गृह ग्राम तिमेनार में किया जा रहा था। सन्नू दशक भर पहले नक्सल संगठन में डिप्टी कमांडर के पद पर रहते हुए कई बड़ी घटनाएं कर चुका था।मगर, जैसे ही उसे यह बात समझ आई कि नक्सलवाद के नाम पर बस्तर के आदिवासियों की हत्या की जा रही है। सन्नू ने वर्ष 2018 में नक्सलियों का साथ छोड़कर सपत्नीक पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद उसने गोपनीय सैनिक के तौर पर पुलिस की नौकरी शुरू की।यह भी पढ़ें- Bijapur Naxal Attack: नासूर बने नक्सलवाद पर अब आर-पार की बारीनक्सलियों के विरुद्ध बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए दो आउट ऑफ टर्न प्रमोशन भी उसे मिले। डीआरजी जवान सन्नू की पत्नी सुशीला भी आत्मसमर्पण के बाद डीआरजी में आरक्षक के तौर पर कार्यरत है।

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