29 साल बाद प्रशासक के हाथ में हो सकती है निगम की कमान! 6 जनवरी से मेयर का खत्म हो रहा कार्यकाल

29 साल बाद प्रशासक के हाथ में हो सकती है निगम की कमान! 6 जनवरी से मेयर का खत्म हो रहा कार्यकाल

रायपुर के मेयर एजाज ढेबर ने घोषणा कर दी है कि वह 6 जनवरी को अपना त्यागपत्र दे देंगे। इस बीच मेयर आरक्षण की तारीख बढ़ने के कयास हैं। ऐसे में चर्चा है कि निगम में प्रशासक के तौर पर रायपुर कलेक्टर गौरव कुमार सिंह या संभाग आयुक्त महादेव कावरे को जिम्मेदारी दी जा सकती है।By Shashank Shekhar Bajpai Publish Date: Fri, 27 Dec 2024 01:35:26 PM (IST)Updated Date: Fri, 27 Dec 2024 01:35:26 PM (IST)HighLightsसंभाग आयुक्त या कलेक्टर बनाए जा सकते हैं प्रशासक। एक जनवरी से बढ़ जाएंगे10 हजार से अधिक मतदाता। मतदाता सूची का पुनरीक्षण होने से चुनाव में होगी देरी।नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। नगर निगम रायपुर की कमान 29 साल बाद एक बार फिर प्रशासक के हाथ में आ सकती है। दरअसल, गुरुवार को महापौर आरक्षण की तिथि बढ़ने से कयास लगाए जा रहे हैं कि छह जनवरी से प्रशासक के हाथ में निगम की कमान होगी।वहीं, चर्चा है कि निगम में प्रशासक के तौर पर रायपुर कलेक्टर गौरव कुमार सिंह या संभाग आयुक्त महादेव कावरे को जिम्मेदारी दी जा सकती है। बता दें कि नगर निगम महापौर एजाज ढेबर का पांच जनवरी से कार्यकाल खत्म हो रहा है।वहीं, उन्होंने ने घोषणा भी कर दी है कि वे छह जनवरी को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। ऐसे में विकास कार्यों की जिम्मेदारी निगम में प्रशासक को बैठाकर दी जा सकती है। दरअसल, 27 दिसंबर को महापौर पद के लिए आरक्षण होना था, लेकिन यह तिथि बढ़कर अब सात जनवरी हो गई है। यानी अब सात जनवरी को रायपुर में महापौर की सीट क्या होगी, यह तय होगा।मतदाता सूची का पुनरीक्षण चुनावी विशेषज्ञ अब तक दावा कर रहे थे कि 31 दिसंबर से पहले आचार संहिता लागू हो जाएगी। ऐसा नहीं होने पर नगर निगम चुनाव के लिए प्रकाशित की गई मतदाता सूची में एक जनवरी के बाद फिर बदलाव करना पड़ेगा। इसकी वजह से एक जनवरी के बाद से करीब 10 हजार से अधिक मतदाताओं को सूची में जोड़ना पड़ सकता है।हाल ही में निगम चुनाव के लिए प्रकाशित की गई मतदाता सूची में अक्टूबर तक 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले मतदाताओं को जोड़ा गया है। वहीं, नवंबर और दिसंबर को लेते हुए एक जनवरी से जो मतदाता 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेंगे, उनके नाम को जोड़ने के लिए भी सूची का पुनरीक्षण जरूरी हो जाएगा।बदलाव का हिस्सा रह चुके हैं प्रशासक प्रशासक का ओहदा नगर निगम में महापौर के बराबर होता है। वहीं, पहले निगम में प्रशासक के तौर पर काम करने वाले अधिकारियों ने भी शहर को बहुत कुछ दिया था। इसमें 1985 से 1995 तक सात प्रशासक कार्य किए थे। इस दौरान रायपुर निगम की प्रशासनिक बागडोर भारतीय और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के हाथों में रही।इन प्रशासकों ने शहर को बहुत कुछ दिया है। 1985 में शासन द्वारा नगर निगम में ओंकार प्रसाद दुबे को प्रशासक नियुक्त किया था। वे 1985 से 1987 तक प्रशासक के तौर पर जिम्मेदारी संभालते रहे। 1987 से 88 तक अजयनाथ को प्रशासक की जिम्मेदारी मिली।यह भी पढ़ें- Indian Railway: रेलवे ने फिर बढ़ाई यात्रियों की परेशानी, 21 लोकल ट्रेनें रदउन्होंने रायपुर को सबसे बड़ा होलसेल सब्जी मार्केट शास्त्री बाजार दिया। मनोज श्रीवास्तव भी 1990 से 93 तक प्रशासक रहे। वहीं, राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जीएस मिश्रा 1993 से 95 तक रायपुर निगम में प्रशासक के तौर पर जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इनके अलावा बजरंग सहाय, बीएस श्रीवास्तव, मनोज श्रीवास्तव भी प्रशासक रह चुके हैं।दावा-आपत्ति प्रक्रिया में माहभर का समय नगर निगम चुनाव के लिए अगर मतदाता सूची का पुनरीक्षण दावा-आपत्ति की प्रक्रिया से कराया गया, तो माहभर का समय लगेगा। वहीं, अगर स्वप्रेरणा से कराया गया, तो भी 15 दिन का समय लगना तय है।यह भी पढ़ें- ठगी का एक और नया तरीका… कंस्ट्रक्शन कारोबारी ने ऑनलाइन मंगाया सीमेंट, आठ लाख की ठगीजानकारों की मानें तो चुनाव कराने के लिए आवश्यक प्रक्रियाओें को पूरा करने के लिए लगभग एक जनवरी के बाद से माहभर का समय लगना तय है। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि अब निगम में दो से तीन महीने तक प्रशासक के हाथ में कमान रहने वाली है।

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