शोर नहीं करना, कटघोरा के जंगल में बाघिन फरमा रही है आराम

शोर नहीं करना, कटघोरा के जंगल में बाघिन फरमा रही है आराम

बाघिन भले ही शनिवार को कटघोरा के जंगल से वापस मारवाही की ओर लौट गई हो। मगर, वन विभाग के अफसर बेहद उत्साहित हैं। डीएफओ कुमार निशांत का कहना है कि यह संकेत है कि कटघोरा का जंगल जैव विविधता से परिपूर्ण और समृद्ध है।By Shashank Shekhar Bajpai Publish Date: Mon, 30 Dec 2024 03:04:53 PM (IST)Updated Date: Mon, 30 Dec 2024 03:04:53 PM (IST)केंदई के जंगल में आराम करती बाघिन।HighLightsवन विभाग ने बताया कि बाघिन पूरी तरह स्वस्थ है। पंजे के निशान से पता चला उसकी उम्र चार साल है। कॉलर आईडी से मिल रही बाघिन की पूरी लोकेशन। नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा। अचानकमार टाइगर रिजर्व से आई बाघिन कटघोरा के जंगल में छह दिन रही। इस दौरान उसने तीन बार शिकार किया। जंगली सूअर, गाय और एक बछड़े को अपना निशाना बनाकर पेट भरा। यहां केंदई के घने जंगल में न केवल पर्याप्त शिकार मिला, बल्कि पीने के पानी भी उपलब्ध रहा। बाघिन भले ही शनिवार को कटघोरा के जंगल से वापस मारवाही की ओर लौट गई हो। मगर, वन विभाग के अफसर बेहद उत्साहित हैं। डीएफओ कुमार निशांत का कहना है कि यह संकेत है कि कटघोरा का जंगल जैव विविधता से परिपूर्ण और समृद्ध है। उन्होंने बताया कि जिनते भी दिन यहां बाघिन रही, 22 कर्मचारियों की टीम ने 24 घंटे निगरानी की। कॉलर आईडी लगे होने की वजह उसके हर एक गतिविधयों का पता असानी से लगता रहा। पसान और केंदई के 64 किलोमीटर के दायरे में उसने विचरण किया। शिकार करने के बाद वह केंदई के साल्ही पहाड़ के पास आराम कर रही थी। इस दौरान हमने ड्रोन कैमरे से उसकी फोटो ले ली। एक माह पहले किया छत्तीसगढ़ में प्रवेश करीब तीस दिन पहले मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ के जंगल में बाघिन ने दस्तक दी थी। इसके बाद से वह यहां विचरण कर रही है। कोरिया में लगातार बाघिन शिकार कर रही थी। 16 दिसंबर को वन विभाग ने बाघिन को जंगल से पकड़ा और अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ा। यहां से निकल कर वह गौरेला पेंड्रा-मारवाही की वन सीमा से होते हुए कोरबा जिले के कटघोरा वन क्षेत्र पहुंच गई है। इस दौरान वन विभाग की टीम ने आस-पास के ग्रामीणों को बाघिन के मौजूद होने की सूचना देते हुए उनसे सतर्क रहने के लिए भी कहा था। वन विभाग के अधिकारी का कहना है कि पसान और पाली वन परिक्षेत्र पुराने समय से ही बाघों का रहवास क्षेत्र रहा है। पिछले साल भी पाली के चैतुरगढ़ के पास एक बाघ को देखा गया था। पंजे के निशान और केनाइन से पता की उम्र वन मंडलाधिकारी कुमार निशांत का कहना है कि जंगल में विचरण कर रही बाघिन पूर्ण स्वस्थ है। उसकी आयु चार साल है। उसके पंजे के निशान के माप और केनाइन यानी दांत के आधार पर उसकी आयु का आकलन किया जाता है। वन विभाग का प्रयास रहा कि वह वन क्षेत्र में ही रहे। जंगल के भीतर उसके विचरण पर व्यवधान नहीं डाला जा सकता है। उसके आगे के मूवमेंट पर भी वन विभाग की टीम नजर रख रही है।

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