कोयला घोटाला: उच्च न्यायालय ने पूर्व सचिव की अपील पर सीबीआई से जवाब मांगा

नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक के आवंटन में अनियमितताओं से जुड़े मामले में पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता और पूर्व लोक सेवक के. एस. क्रोफा की दोषसिद्धि तथा तीन साल की सजा को चुनौती देने वाली उनकी अपीलों पर बुधवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जवाब मांगा.

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने अपीलों को मंजूर कर लिया और कहा कि दोनों दोषी अपनी अपीलों पर सुनवाई लंबित रहने तक एक-एक लाख रुपये का निजी मुचलका जमा कराने पर जमानत पर रहेंगे. निचली अदालत ने उन्हें पहले ही जमानत दे दी है. न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, ”नोटिस जारी करिए. सीबीआई वकील तरन्नुम चीमा ने नोटिस स्वीकार कर लिया. अपीलों को स्वीकार कर लिया गया है और उन पर उचित समय पर सुनवाई की जाएगी.” निचली अदालत ने इस मामले में जुलाई में गुप्ता, क्रोफा और पूर्व वरिष्ठ लोक सेवक के सी समरिया को दोषी ठहराया था तथा उन्हें तीन-तीन साल की जेल की सजा सुनायी थी.

हालांकि, निचली अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी ताकि वे अपनी दोषसिद्धि तथा सजा को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकें. इसके अलावा, निचली अदालत ने इस मामले में पूर्व राज्यसभा सदस्य विजय दर्डा, उनके पुत्र देवेंद्र दर्डा और कारोबारी मनोज कुमार जायसवाल को भी दोषी ठहराया था तथा उन्हें चार साल की सजा सुनायी थी.

उच्च न्यायालय ने विजय दर्डा, उनके पुत्र और जायसवाल को 28 जुलाई को अंतरिम जमानत दे दी थी. उन्हें दो दिन जेल में रहने के बाद जमानत मिल गई थी. उच्च न्यायालय ने दोषसिद्धि तथा सजा को चुनौती देने वाली उनकी अपीलों पर सीबीआई को नोटिस भी जारी किया था तथा उससे जवाब मांगा था. निचली अदालत ने मामले में दोषी ठहरायी गयी कंपनी जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

उसने दर्डा पिता-पुत्र और जायसवाल पर भी 15-15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. अन्य तीन दोषियों को 20-20 हजार रुपये का जुर्माना देने का आदेश दिया गया था. बुधवार को सुनवाई के दौरान गुप्ता और क्रोफा के वकील ने दलील दी कि आरोपियों को आर्थिक लाभ पहुंचाने का कोई आरोप नहीं है. उच्च न्यायालय को यह भी बताया गया कि दोनों दोषियों ने निचली अदालत द्वारा उन पर लगाया गया 20-20 हजार रुपये का जुर्माना पहले ही जमा कर दिया है.

गुप्ता और क्रोफा को दी गई सजा को निलंबित करने का अनुरोध करने वाले आवेदन पर, उनके वकील ने कहा कि गुप्ता और क्रोफा को तीन साल कैद की सजा सुनाई गई है और पहले भी अन्य मामलों में इन्हें दोषी ठहराया गया था, जिसमें वे जमानत पर रहे और उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया गया.

सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि ‘जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड’ ने 1999-2005 में अपने समूह की कंपनियों को चार कोयला ब्लॉक के पिछले आवंटन की बात को गलत तरीके से छुपाया था. लेकिन, बाद में एजेंसी ने एक ”क्लोजर रिपोर्ट” दायर की, जिसमें कहा गया कि कोयला मंत्रालय द्वारा जेएलडी यवतमाल को कोयला ब्लॉक आवंटन में कोई अनुचित लाभ नहीं दिया गया था.

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने शुरू में अनुमान लगाया था कि कोयला घोटाले से सरकारी खजाने को 10.6 लाख करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ, लेकिन संसद में पेश की गई इसकी अंतिम रिपोर्ट में यह आंकड़ा 1.86 लाख करोड़ रुपये बताया गया.

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