जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास अब देश का पहला डाकघर

केरन. जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास किशनगंगा नदी के तट पर स्थित पिन कोड संख्या-193224 वाले डाकघर को अब भारत के ‘पहले’ डाकघर के रूप में जाना जाएगा. यह डाकघर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से चंद मीटर की दूरी पर स्थित है.

हाल तक इसे देश के आखिरी डाकघर के रूप में जाना जाता था. लेकिन, अब इसके पास लगे साइनबोर्ड पर इसे ‘भारत का पहला डाकघर’ बताया गया है, क्योंकि दूरी के मामले में यह एलओसी या सीमा से पहला डाकघर है. डाक विभाग के बारामूला मंडल के अधीक्षक अब्दुल हामिद कुमार ने कहा, ”पहले इसे देश के अंतिम डाकघर के रूप में जाना जाता था, क्योंकि हम इसके आगे डाक सामग्री की आपूर्ति नहीं कर सकते. फिर, सेना ने इसे देश के पहले डाकघर का नाम दिया क्योंकि दूरी के मामले में एलओसी या सीमा से यह पहला डाकघर है. ” गांव के लोगों का कहना है कि डाकघर भारत की आजादी या पाकिस्तान के अस्तित्व में आने से पहले से ही काम कर रहा था.

यह डाकघर 1965, 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध अथवा लगातार सीमा पार से हुईं गोलाबारी की घटनाओं के दौरान भी संदेश पहुंचाने का काम करता रहा. डाकपाल शाकिर भट के मुताबिक यह डाकघर 1947 से ही सक्रिय है और इसने कभी भी अपनी सेवाएं बंद नहीं कीं.

भट ने पीटीआई-भाषा से कहा, ” युद्धविराम (2021 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ समझौता) से पहले बाहर जाना, डाक पहुंचाना या डाक उठाना बहुत जोखिम भरा काम था. आज हम शांति महसूस कर रहे हैं और हम चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच शांति  नी रहे. ” वर्ष 1993 में केरन सेक्टर में आई बाढ़ में यह डाकघर भी बह गया था. उन्होंने कहा, ”मुझे 1992 में डाक विभाग में नियुक्त किया गया था. वर्ष 1993 की बाढ़ के बाद, डाकघर मेरे घर से काम कर रहा है.” भट ने कहा कि उन्हें घर से डाकघर संचालित करने के लिए कोई किराया नहीं मिलता है और वह कोई किराया नहीं मांग रहे हैं.

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