पोर्ट ब्लेयर. अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को एक युवती से कथित सामूहिक दुष्कर्म मामले में शुक्रवार को 14 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. अदालत में पेशी के बाद पोर्ट ब्लेयर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जितेंद्र नारायण को पुलिस हिरासत में भेजने का फैसला सुनाया. पुलिस ने उनके और अभी तक गिरफ्तार नहीं किये गये अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ अपनी जांच जारी रखने के लिए अधिकारी की रिमांड की मांग की थी.
इससे पहले, बृहस्पतिवार को पुलिस ने नारायण को एक स्थानीय अदालत द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले ने केंद्रशासित प्रदेश को हिलाकर रख दिया है. जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत के फैसले के तुरंत बाद पुलिसर्किमयों की एक टीम एक निजी रिसॉर्ट में पहुंची, जहां जितेंद्र नारायण ठहरे थे और भारी सुरक्षा के बीच उन्हें पुलिस लाइन लाया गया. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी को गिरफ्तारी के बाद चिकित्सा जांच के लिए शाम करीब साढ़े सात बजे अस्पताल ले जाया गया.
अस्पताल से करीब डेढ़ घंटे के बाद बाहर आने पर नारायण ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ मैं आप लोगों से बात करूंगा, आपको पता है कि यह एक झूठ है और मेरे खिलाफ साजिश है. मैं इस बारे में सब कुछ बताऊंगा. ’’ विशेष जांच दल (एसआईटी) इस मामले में नारायण से तीन बार पूछताछ कर चुका है.
एसआईटी का गठन उन आरोपों की जांच के लिए किया गया था कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 21 वर्षीय एक युवती को सरकारी नौकरी का झांसा देकर मुख्य सचिव के घर ले जाया गया और फिर वहां नारायण सहित शीर्ष अधिकारियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया.
प्राथमिकी एक अक्टूबर को दर्ज की गई थी जब नारायण दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में पदस्थ थे. सरकार ने उन्हें 17 अक्टूबर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया.
महिला ने प्राथमिकी में दावा किया है कि चूंकि उसके पिता और सौतेली मां ने उसकी वित्तीय जरूरतों का ध्यान नहीं रखा, इसलिए उसे नौकरी की जरूरत थी और कुछ लोगों ने उसे श्रम आयुक्त से मिलवाया क्योंकि वह तत्कालीन मुख्य सचिव के करीबी थे. महिला ने यह भी दावा किया कि मुख्य सचिव ने केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासन में विभिन्न विभागों में ‘‘केवल सिफारिश के आधार पर’’ और बिना किसी ‘‘औपचारिक साक्षात्कार’’ के ‘‘7,800 उम्मीदवारों’’ को नियुक्त किया. महिला का आरोप है कि उसे सरकारी नौकरी का झांसा देकर मुख्य सचिव के घर ले जाया गया और फिर वहां 14 अप्रैल व एक मई को उसके साथ दुष्कर्म किया गया.