इसरो 29 जनवरी को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपना 100वां मिशन लॉन्च करेगा। इस ऐतिहासिक मिशन के तहत जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट को लॉन्च किया जाएगा जो एनवीएस-02 उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित करेगा। इसरो ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर इसकी जानकारी दी है।
जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट, जीएसएलवी श्रृंखला की 17वीं उड़ान होगी और यह स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण की 11वीं उड़ान होगी। एनवीएस-02 उपग्रह भारतीय नेविगेशन प्रणाली (एनएवीआईसी) का हिस्सा है जो दूसरी पीढ़ी का उपग्रह है। इसका उद्देश्य भारत और इसके आसपास 1500 किलोमीटर की दूरी तक सटीक स्थिति, वेग और समय सेवाएं प्रदान करना है।
एनवीएस-02 उपग्रह तकनीकी रूप से अत्याधुनिक है। इसका वजन 2,250 किलोग्राम है और यह 3 किलोवाट तक की पावर संभाल सकता है। इसमें नेविगेशन के लिए एल1, एल5 और एस बैंड पेलोड शामिल हैं जो इसकी सेवाओं को और बेहतर बनाएंगे। इसके अलावा, यह उपग्रह एल1 फ्रीक्वेंसी बैंड को सपोर्ट करता है जिससे इसकी विश्वसनीयता में भी वृद्धि होगी।
एनएवीआईसी प्रणाली दो प्रकार की सेवाएं प्रदान करेगी। पहली, मानक पोजिशनिंग सेवा (एसपीएस) जो 20 मीटर से बेहतर स्थिति सटीकता और 40 नैनोसेकंड से बेहतर समय सटीकता देगी। दूसरी प्रतिबंधित सेवा (आरएस) जो केवल विशेष उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध होगी।
यह मिशन इसरो के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। 10 अगस्त 1979 को श्रीहरिकोटा से पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएलवी) मिशन के बाद, 46 वर्षों में इसरो 100 मिशनों का एक बड़ा सफर तय करने जा रहा है।जीएसएलवी-एफ15 और एनवीएस-02 उपग्रह के साथ भारत की नेविगेशन प्रणाली को और मजबूत बनाया जाएगा।-(IANS)