प्रयागराज में महाशिवरात्रि के अवसर पर महाकुंभ 2025 के अंतिम स्नान के लिए आज बुधवार को लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में एकत्र हुए। देशभर से लोग सुबह जल्दी पहुंचे और गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पवित्र स्नान किया। गौरतलब है कि महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के अमृत स्नान से हुई थी। इसके बाद 14 जनवरी (मकर संक्रांति), 29 जनवरी (मौनी अमावस्या), 3 फरवरी (बसंत पंचमी), 12 फरवरी (माघी पूर्णिमा) और अंत में 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) को प्रमुख स्नान के दिन थे।
बता दें कि महाकुंभ में अखाड़ों की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण होती है। ये धार्मिक साधु-संतों के संगठन होते हैं जो शैव, वैष्णव और उदासी संप्रदायों से जुड़े होते हैं। इस बार निरंजनी अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा और जूना अखाड़ा (जो संन्यासी परंपरा का सबसे बड़ा अखाड़ा है) जैसे कई अखाड़ों ने भाग लिया। वहीं इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने से प्रशासन द्वारा सुरक्षा, यातायात और अन्य व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए। प्रयागराज के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मंडर ने बताया कि भारी भीड़ को संभालने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। रेलवे और हवाईअड्डा प्रशासन से बेहतर समन्वय किया गया ताकि यात्रियों को किसी तरह की परेशानी न हो। इस बार 15,000 सफाईकर्मियों ने मिलकर एक बहुत बड़े सफाई अभियान में भाग लिया जिससे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनने की संभावना है।
वहीं श्रद्धालुओं की वापसी को आसान बनाने के लिए भारतीय रेलवे ने 350 से अधिक विशेष ट्रेनें चला रही है। इससे पहले, मौनी अमावस्या के दिन 360 विशेष ट्रेनों से 20 लाख से ज्यादा यात्रियों को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया था। प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विशेष योजना बनाई गई है इसके तहत यात्रियों को पहले खुसरो बाग जैसे विश्राम स्थलों पर रोका गया और फिर सुरक्षित रूप से ट्रेन तक पहुंचाया गया।
आज महाशिवरात्रि केवल प्रयागराज में ही नहीं बल्कि देशभर में पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जा रही है। झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर और दिल्ली के महिपालपुर स्थित शिव मूर्ति मंदिर में भी बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचे। महाशिवरात्रि भगवान शिव और देवी पार्वती के पवित्र विवाह का प्रतीक है। इसे अंधकार और अज्ञान पर विजय का पर्व माना जाता है।