प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ के संपन्न होने के अवसर पर आज (गुरुवार) अपनी भावनाओं को साझा किया है। पीएम मोदी ने महाकुंभ 2025 पूर्ण होने के अवसर पर एक लेख लिखा। जिसकी शुरुआत में उन्होंने कहा कि महाकुंभ संपन्न हुआ…एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। जब एक राष्ट्र की चेतना जागृत होती है, जब वो सैकड़ों साल की गुलामी की मानसिकता के सारे बंधनों को तोड़कर नव चैतन्य के साथ हवा में सांस लेने लगता है, तो ऐसा ही दृश्य उपस्थित होता है, जैसा हमने 13 जनवरी के बाद से प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में देखा। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी संख्या में भाग लेना न सिर्फ एक रिकॉर्ड है, बल्कि इसने कई शताब्दियों तक हमारी संस्कृति और विरासत को मजबूत और समृद्ध बनाए रखने की मजबूत नींव भी रखी है।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ लिखा, “महाकुंभ संपन्न हुआ…एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में पूरे 45 दिनों तक जिस प्रकार 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ, एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ी, वो अभिभूत करता है!”
महाकुंभ के संपन्न होने पर पीएम मोदी ने साझा की अपनी भावनाएं
एकता के महाकुंभ के सफल समापन पर संतोष व्यक्त करते हुए और नागरिकों को उनकी कड़ी मेहनत, प्रयासों और दृढ़ संकल्प के लिए धन्यवाद देते हुए, पीएम मोदी ने एक ब्लॉग में अपने विचार लिखे और इसे एक्स पर साझा किया।
अपने लेख में पीएम मोदी ने लिखा, प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान सभी देवी-देवता जुटे, संत-महात्मा जुटे, बाल-वृद्ध जुटे, महिलाएं-युवा जुटे, और हमने देश की जागृत चेतना का साक्षात्कार किया। ये महाकुंभ एकता का महाकुंभ था, जहां 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ गई थी। तीर्थराज प्रयाग के इसी क्षेत्र में एकता, समरसता और प्रेम का पवित्र क्षेत्र श्रृंगवेरपुर भी है, जहां प्रभु श्रीराम और निषादराज का मिलन हुआ था। उनके मिलन का वो प्रसंग भी हमारे इतिहास में भक्ति और सद्भाव के संगम की तरह ही है। प्रयागराज का ये तीर्थ आज भी हमें एकता और समरसता की वो प्रेरणा देता है।
संगम पर स्नान की भावनाओं का ज्वार, लगातार बढ़ता ही रहा
उन्होंने आगे लिखा, बीते 45 दिन, प्रतिदिन, मैंने देखा, कैसे देश के कोने-कोने से लाखों-लाख लोग संगम तट की ओर बढ़े जा रहे हैं। संगम पर स्नान की भावनाओं का ज्वार, लगातार बढ़ता ही रहा। हर श्रद्धालु बस एक ही धुन में था- संगम में स्नान। मां गंगा, यमुना, सरस्वती की त्रिवेणी हर श्रद्धालु को उमंग, ऊर्जा और विश्वास के भाव से भर रही थी।
आधुनिक युग के मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए अध्ययन का विषय
प्रयागराज में हुआ महाकुंभ का ये आयोजन, आधुनिक युग के मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए, प्लानिंग और पॉलिसी एक्सपर्ट्स के लिए, नए सिरे से अध्ययन का विषय बना है। आज पूरे विश्व में इस तरह के विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं है, ऐसा कोई दूसरा उदाहरण भी नहीं है।
मैं वो तस्वीरें भूल नहीं सकता
पीएम मोदी ने आगे लिखा कि मैं वो तस्वीरें भूल नहीं सकता…स्नान के बाद असीम आनंद और संतोष से भरे वो चेहरे नहीं भूल सकता। महिलाएं हों, बुजुर्ग हों, हमारे दिव्यांग जन हों, जिससे जो बन पड़ा, वो साधन करके संगम तक पहुंचा।
भारत की युवा पीढ़ी हमारे संस्कार और संस्कृति की वाहक
भारत के युवाओं का इस तरह महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए आगे आना, एक बहुत बड़ा संदेश है। इससे ये विश्वास दृढ़ होता है कि भारत की युवा पीढ़ी हमारे संस्कार और संस्कृति की वाहक है और इसे आगे ले जाने का दायित्व समझती है और इसे लेकर संकल्पित भी है, समर्पित भी है।
ये युग परिवर्तन की वो आहट है, जो भारत का नया भविष्य लिखने जा रही है
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस लेख में कहा कि प्रयागराज में जितनी कल्पना की गई थी, उससे कहीं अधिक संख्या में श्रद्धालु वहां पहुंचे। इसकी एक वजह ये भी थी कि प्रशासन ने भी पुराने कुंभ के अनुभवों को देखते हुए ही अंदाजा लगाया था। लेकिन अमेरिका की आबादी के करीब दोगुने लोगों ने एकता के महाकुंभ में हिस्सा लिया, डुबकी लगाई। आध्यात्मिक क्षेत्र में रिसर्च करने वाले लोग करोड़ों भारतवासियों के इस उत्साह पर अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि अपनी विरासत पर गौरव करने वाला भारत अब एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। मैं मानता हूं, ये युग परिवर्तन की वो आहट है, जो भारत का नया भविष्य लिखने जा रही है।
ये एकता का महाकुंभ हमें इस बात की प्रेरणा देकर गया है कि हम अपनी नदियों को निरंतर स्वच्छ रखें
उन्होंने अपने ब्लॉग में कहा, प्रयागराज में भी गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम पर मेरा ये संकल्प और दृढ़ हुआ है। गंगा जी, यमुना जी, हमारी नदियों की स्वच्छता हमारी जीवन यात्रा से जुड़ी है। हमारी जिम्मेदारी बनती है कि नदी चाहे छोटी हो या बड़ी, हर नदी को जीवनदायिनी मां का प्रतिरूप मानते हुए हम अपने यहां सुविधा के अनुसार, नदी उत्सव जरूर मनाएं। ये एकता का महाकुंभ हमें इस बात की प्रेरणा देकर गया है कि हम अपनी नदियों को निरंतर स्वच्छ रखें, इस अभियान को निरंतर मजबूत करते रहें।
उल्लेखनीय है, यह विशाल धार्मिक समागम 13 जनवरी से शुरू हुआ और 26 फरवरी तक चला। इस अवधि में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम तट पर स्नान किया, जो अपने आप में अभूतपूर्व है। यह न केवल भारत की आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाता है, बल्कि देशवासियों की एकता और श्रद्धा को भी उजागर करता है।