राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से आने वाले वर्षों में शिक्षा क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन होंगे: राष्ट्रपति

भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अग्रणी स्थान बनाया है : राष्ट्रपति मुर्मू

नयी दिल्ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सामाजिक सशक्तीकरण में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए सोमवार को कहा कि 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति से आने वाले वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन होंगे और देश में बड़ा बदलाव दिखाई देगा. राष्ट्रपति मुर्मू ने 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा वह स्वयं एक शिक्षक रही हैं, इस नाते वह समझती हैं कि शिक्षा समाजिक सशक्तीकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति से बदलाव आना शुरू हो गया है तथा ”विभिन्न स्तरों पर विद्यार्थियों और शिक्षाविदों के साथ मेरी बातचीत से यह पता चला कि अध्ययन की प्रक्रिया अधिक लचीली हो गई है.” मुर्मू ने कहा, ”इस दूरदर्शी नीति का एक प्रमुख उद्देश्य प्राचीन मूल्यों को आधुनिक कौशल के साथ जोड़ना है. इससे आने वाले वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन होंगे और परिणामस्वरूप देश में एक बहुत बड़ा बदलाव दिखाई देगा.” राष्ट्रपति ने कहा, ”भारत की प्रगति से देशवासियों खासकर युवा पीढ़ी के सपनों को शक्ति मिलती है.” उन्होंने कहा कि विकास की अनंत संभावनाएं देशवासियों की प्रतीक्षा कर रही हैं तथा स्टार्टअप से लेकर खेलकूद तक हमारे युवाओं ने उत्कृष्टता के नए आसमानों में उड़ान भरी है.

मुर्मू ने कहा, ”आज के नए भारत की महत्वाकांक्षाओं के नए क्षितिज असीम हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नई ऊंचाइयों को छू रहा है और उत्कृष्टता के नए आयाम स्थापित कर रहा है.” उन्होंने कहा कि इस वर्ष इसरो ने चंद्रयान-3 प्रक्षेपित किया है जो चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर चुका है. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के अनुसार उसका ‘विक्रम’ नामक लैंडर तथा ‘प्रज्ञान’ नामक रोवर अगले कुछ ही दिनों में चंद्रमा पर उतरेंगे.

राष्ट्रपति ने कहा, ”हम सभी के लिए वह गौरव का क्षण होगा और मुझे भी उस पल का इंतजार है. चंद्रमा का अभियान अंतरिक्ष के हमारे भावी कार्यक्रमों के लिए केवल एक सीढ़ी है. हमें बहुत आगे जाना है.” उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष अभियान में ही नहीं बल्कि धरती पर भी हमारे वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद देश का नाम रोशन कर रहे हैं.

मुर्मू ने कहा कि अनुसंधान, नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए अगले पांच वर्षों में 50 हजार करोड़ रुपये के साथ सरकार द्वारा अनुसंधान राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन स्थापित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह फाउंडेशन हमारे कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों में शोध और विकास को आधार प्रदान करेगा, उन्हें विकसित करेगा और आगे ले जाएगा.

राष्ट्रपति ने कहा, ” हमारे देश ने नए संकल्पों के साथ ‘अमृत काल’ में प्रवेश किया है तथा हम भारत को वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. आइए हम सभी अपने संवैधानिक मूल कर्तव्यों को निभाने का संकल्प लें .” उन्होंने कहा, ” हम व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें ताकि हमारा देश निरंतर उन्नति करते हुए कर्मठता तथा उपलब्धियों की नई ऊंचाइयां हासिल करे.”

जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग पर त्वरित ध्यान देने की जरूरत : राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को दुनियाभर के वैज्ञानिकों एवं नीति निर्माताओं से जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिग पर विशेष ध्यान देने की अपील की, जिसके कारण अचानक बाढ., सूखे जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है.
इसके साथ ही उन्होंने आगाह किया कि लोभ की संस्कृति दुनिया को प्रकृति से दूर कर रही है.

राष्ट्रपति मुर्मू ने 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि ज्ञान एवं विज्ञान में उत्कृष्टता प्राप्त करना ही हमारा लक्ष्य नहीं है बल्कि हमारे लिए वे मानवता के विकास के साधन हैं. उन्होंने कहा कि एक क्षेत्र जिस पर पूरे विश्व के वैज्ञानिक और नीति निर्माताओं को और अधिक तत्परता से ध्यान देना चाहिए वह है-जलवायु परिवर्तन.

उन्होंने कहा कि हाल के वर्षो में बड़ी संख्या में बेहद विषम मौसम की घटनाएं हुई हैं, देश के कुछ हिस्सों में असाधारण बाढ. का सामना करना पड़ा है, कुछ स्थानों को सूखे की मार झेलनी पड़ी है. राष्ट्रपति ने कहा, ”इन सबका एक प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग को भी माना जाता है. अत: पर्यावरण के हित में स्थानीय, राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर प्रयास करना अनिवार्य है.”

उन्होंने कहा, ”…इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हमने अभूतपूर्व लक्ष्यों को प्राप्त किया है, अंतरराष्ट्रीय सौर ऊर्जा अभियान को भारत ने नेतृत्व प्रदान किया है तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में हमारा देश अग्रणी भूमिका निभा रहा है.” मुर्मू ने कहा कि विश्व समुदाय को हमने ”लाइफ” यानी जीवनशैली के लिए पर्यावरण का मंत्र दिया है.

राष्ट्रपति ने कहा, ” असामान्य मौसम की घटनाएं सभी पर असर डालती हैं लेकिन गरीब और वंचित वर्गो के लोगों पर उनका प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है. शहरों और पहाड़ी क्षेत्रों को जलवायु परिवर्तन की स्थितियों का सामना करने के लिए विशेष रूप से सक्षम बनाने की जरूरत है.” उन्होंने कहा, ” मैं यह कहना चाहूंगी कि लोभ की संस्कृति दुनिया को प्रकृति से दूर करती है और अब हमें यह एहसास हो रहा है कि हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहिए.” उन्होंने कहा कि आज भी अनेक जनजातीय समुदाय ऐसे हैं जो प्रकृति के बहुत करीब हैं और उनके साथ सौहार्द बनाकर रहते हैं.

उन्होंने कहा कि इन जनजातीय समुदाय के जीवन मूल्य और जीवन शैली जलवायु कार्रवाई के क्षेत्र में अमूल्य शिक्षा प्रदान करते हैं.
मुर्मू ने कहा कि जनजातीय समुदायों द्वारा युगों से अपना अस्तित्व बनाए रखने के रहस्य को एक शब्द ”हमदर्दी” से ही व्यक्त किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय के लोग प्रकृति को माता समझते हैं और उनकी सभी संतानों अर्थात वनस्पतियों और जीव जंतुओं के प्रति सहानुभूति रखते हैं. राष्ट्रपति ने कहा, ” कभी-कभी दुनिया में हमदर्दी की कमी महसूस होती है. लेकिन इतिहास साक्षी है कि केवल ऐसे दौर कुछ समय के लिए ही आते हैं क्योंकि करूणा हमारा मूल स्वभाव है.” उन्होंने कहा, ” मेरा अनुभव है कि महिलाएं हमदर्दी के महत्व को अधिक गहराई से महसूस करती हैं और जब मानवता अपनी राह भटकती है तो वे सही रास्ता दिखाती हैं.”

भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अग्रणी स्थान बनाया है : राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि भारत पूरी दुनिया में विकास के लक्ष्यों और मानवीय सहयोग को बढ.ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अग्रणी स्थान बनाया है तथा उसका प्रभावी नेतृत्व में जी-20 समूह के देश पूरी मानवता के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर उपयोगी कार्रवाई करेंगे.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि स्वाधीनता दिवस देश के लिए अपने इतिहास से पुन: जुड़ने तथा वर्तमान का आकलन करने और भविष्य की राह बनाने के बारे में चिंतन करने का अवसर होता है. उन्होंने कहा, ”आज हम देख रहे हैं कि भारत ने न केवल विश्व मंच पर अपना यथोचित स्थान बनाया है बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में अपनी प्रतिष्ठा को भी बढ.ाया है. अपनी यात्राओं और प्रवासी भारतीयों के साथ बातचीत के दौरान मैंने अपने देश के प्रति उनमें एक नए विश्वास और गौरव का भाव देखा है.” मुर्मू ने कहा भारत पूरी दुनिया में विकास लक्ष्यों और मानवीय सहयोग को बढ.ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है तथा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अग्रणी स्थान बनाया है और जी-20 देशों की अध्यक्षता का दायित्व भी संभाला है.

उन्होंने कहा, ” चूंकि जी-20 समूह दुनिया की दो तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह हमारी वैश्विक प्राथमिकताओं को सही दिशा में ले जाने का अद्वितीय अवसर है.” उन्होंने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता के माध्यम से भारत, व्यापार और वित्त क्षेत्र में हो रहे निर्णयों को न्याय संगत प्रगति की ओर ले जाने को प्रयासरत है.

राष्ट्रपति ने कहा, ” व्यापार और वित्त के अलावा मानव विकास से जुड़े विषय भी कार्य सूची में शामिल किए गए हैं . ऐसे कई मुद्दे हैं जो पूरी मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं और किसी भौगोलिक सीमा से बंधे हुए नहीं हैं.” मुर्मू ने कहा, ” मुझे विश्वास है कि भारत के प्रभावी नेतृत्व के साथ जी-20 के सदस्य देश उन मोर्चो पर उपयोगी कार्रवाई को आगे बढ.ायेंगे.” उन्होंने कहा कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता में एक नई बात यह है कि कूटनीति को जमीन से जोड़ा गया है.

उन्होंने कहा कि एक अंतरराष्ट्रीय राजनयिक गतिविधि में लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी तरह का पहला अभियान चलाया गया है. राष्ट्रपति ने कहा कि उदाहरण के लिए यह देखकर मुझे अच्छा लगा कि स्कूलों और कॉलेजों में जी-20 से जुड़े विषयों पर आयोजित की जा रही गतिविधियों में विद्यार्थी उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि जी-20 से जुड़े कार्यक्रमों के बारे में भी सभी नागरिकों में बहुत उत्साह देखने को मिल रहा है. जी20 दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतरसरकारी मंच है. इस समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं. भारत अभी जी-20 समूह की अध्यक्षता कर रहा है.

विदेशों में अनिश्चितता के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था दूसरों के लिए आशा का स्रोत बनी : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि विश्व की अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं के नाजुक दौर से गुजरने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनिश्चितता का वातावरण होने के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था न केवल समर्थ सिद्ध हुई है बल्कि दूसरों के लिए आशा का स्रोत भी बनी है.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि आज सशक्तीरण की भावना से युक्त उत्साह का संचार संभव हो पाया है क्योंकि देश हर मोर्चे पर अच्छी प्रगति कर रहा है. उन्होंने कहा कि मुश्किल दौर में भारत की अर्थव्यवस्था न केवल समर्थ सिद्ध हुई है बल्कि दूसरों के लिए आशा का स्रोत भी बनी है.

मुर्मू ने कहा, ” विश्व की अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं नाजुक दौर से गुजर रही हैं . वैश्विक महामारी के कारण हुए आर्थिक संकट से विश्व समुदाय पूरी तरह बाहर नहीं आ पाया था कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर हो रही घटनाओं से अनिश्चितता का वातावरण और गंभीर हो गया.” उन्होंने कहा, ”फिर भी सरकार कठिन परिस्थितियों का अच्छी तरह से सामना करने में सक्षम रही हैं. देश ने चुनौतियों को अवसरों में बदला है और प्रभावशाली सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि भी दर्ज की है.”

राष्ट्रपति ने कहा, ”हमारे अन्नदाता किसानों ने हमारी आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. राष्ट्र उनका ऋृणी है.” उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति चिंता का कारण बनी हुई है लेकिन सरकार और रिजर्व बैंक इस पर काबू पाने में सफल रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने जन सामान्य पर मुद्रास्फीति का अधिक प्रभाव पड़ने नहीं दिया है और गरीबों को व्यापक सुरक्षा कवच भी प्रदान किया है.

मुर्मू ने कहा कि वैश्विक आर्थिक विकास के लिए दुनिया की निगाहें आज भारत पर टिकी हुई हैं. उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि आज भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. उन्होंने कहा कि विश्व में सबसे तेजी से बढ. रही बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है.

मुर्मू ने कहा, ”हमारी आर्थिक प्रगति की इस यात्रा में समावेशी विकास पर जोर दिया जा रहा है.” उन्होंने कहा कि निरंतर हो रही आर्थिक प्रगति के दो प्रमुख आयाम हैं. उन्होंने एक ओर व्यवसाय को आसान बनाकर और रोजगार के अवसर पैदा करके उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ.ावा दिया जा रहा है तो दूसरी ओर जरूरतमंदों की सहायता के लिए विभिन्न पहल एवं व्यापक कल्याणकारी कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि वंचितों को वरीयता सरकार नीतियों और कार्यो के केंद्र में रहते हैं, इसके परिणामस्वरूप पिछले दशक में बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकालना संभव हो पाया है. राष्ट्रपति ने कहा कि इसी प्रकार आदिवासियों की स्थिति में सुधार लाने और उनहें प्रगति की यात्रा में शामिल करने हेतु विशेष कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं.

मुर्मू ने कहा, ”मैं अपने आदिवासी भाई बहनों से अपील करत हूं कि आप सब अपनी परंपराओं को समृद्ध करते हुए आधुनिकता को अपनाएं.” उन्होंने कहा, ”मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि आर्थिक विकास के साथ साथ मानव विकास संबंधी सरोकारों को भी उच्च प्राथमिकता दी जा रही है.”

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों से महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता देने की अपील की

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिलाओं के विकास को स्वाधीनता संग्राम का आदर्श बताते हुए सोमवार को देशवासियों से महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता देने की अपील की ताकि आधी आबादी साहस के साथ हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ.ें.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि आज की महिलाओं ने ऐसे अनेक क्षेत्रों में अपना विशेष स्थान बना लिया है जिनमें कुछ दशकों पहले उनकी भागीदारी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.
उन्होंने कहा, ” मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि हमारे देश की महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. आर्थिक सशक्तीकरण से परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत होती है.”

राष्ट्रपति ने कहा, ” मैं सभी देशवासियों से आग्रह करती हूं कि वे महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दें. मैं चाहूंगी कि हमारी बहनें और बेटियां साहस के साथ हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ.ें. महिलाओं का विकास, स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों में शामिल है.” उन्होंने कहा कि मातंगिनी हाजरा और कनकलता बरूआ जैसी वीरांगनाओं ने भारत माता के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिये. उन्होंने कहा कि मां कस्तूरबा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ कदम मिलाकर सत्याग्रह के मार्ग पर चलती रही.

उन्होंने कहा कि सरोजिनी नायडू, अम्मू स्वामीनाथन, रमा देवी, अरुणा आसफ अली और सुचेता कृपलानी जैसी महिला विभूतियों ने अपने बाद की सभी पीढि.यों की महिलाओं के लिए आत्म विश्वास के साथ देश तथा समाज की सेवा करने के प्रेरक आदर्श प्रस्तुत किए हैं.

राष्ट्रपति ने कहा, ”जब हम स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाते हैं तो वास्तव में हम एक महान लोकतंत्र के नागरिक होने का उत्सव भी मनाते हैं . हममें हर एक की अलग अलग पहचान है. जाति पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा हमारी अपने परिवार और कार्य क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है.” उन्होंने कहा, ” लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है जो इन सबसे उपर है और वह है भारत का नागरिक होना. हम सभी समान रूप से इस महान देश के नागरिक हैं . हम सब को समान अवसर और अधिकार उपलब्ध हैं और हमारे कर्तव्य भी समान हैं.” मुर्मू ने कहा कि लेकिन ऐसा हमेशा नहीं था, भारत लोकतंत्र की जननी है और प्राचीन काल में भी यहां जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक संस्थाएं विद्यमान थीं किन्तु लंबे समय तक चले औपनिवेशिक शासन ने उन लोकतांत्रिक संस्थाओं के मिटा दिया था.

उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 के दिन राष्ट्र ने एक नया सवेरा देखा जब देश ने विदेशी शासन से तो आजादी हासिल की, साथ ही अपनी नियति का निर्माण करने की भी स्वतंत्रता प्राप्त की. राष्ट्रपति ने कहा कि स्वाधीनता के बाद विदेशी शासकों द्वारा उपनिवेशों को छोड़ने का दौर शुरू हुआ और उपनिवेशवाद समाप्त होने लगा.

उन्होंने कहा, ” हमारे लिए स्वाधीनता के लक्ष्य को प्राप्त कना तो महत्वपूर्ण था ही लेकिन उससे अधिक उल्लेखनीय है हमारे स्वाधीनता संग्राम का अनोखा तरीका.” स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी तथा कई अन्य असाधारण और दूरदर्शी विभूतियों के नेतृत्व में राष्ट्रीय आंदोलन अद्वितीय आदर्शो से अनुप्रमाणित था. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी तथा अन्य महानायकों ने भारत की आत्मा को फिर से जगाया और देश की महान सभ्यता के मूल्यों का जन जन में संचार किया.

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के ज्वलंत उदाहरण का अनुसरण करते हुए स्वाधीनता संग्राम की अधारशिला ‘सत्य और अहिंसा’ को पूरी दुनिया के अनेक राजनीतिक संघर्ष में सफलतापूर्वक अपनाया गया है. उन्होंने कहा, ” स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मैं भारत के नागरिकों को एकजुट होकर सभी ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को कृतज्ञतापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं . उनके असंख्या बलिदानों से भारत ने विश्व समुदाय में अपन स्वाभिमानपूर्ण स्थान फिर से प्राप्त किया.”

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