नयी दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन के एक मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) चित्रा रामकृष्ण की जमानत याचिका का दिल्ली उच्च न्यायालय में मंगलवार को विरोध करते हुए कहा कि इस विषय में आपराधिक साजिश की वह सरगना है. यह मामला एनएसई कर्मचारियों की अवैध फोन टैपिंग से जुड़ा हुआ है.
ईडी ने न्यायमूर्ति जसमीत सिंह से कहा कि फोन पर की गई बातचीत सुनने या और उसकी निगरानी का प्रस्ताव रामकृष्ण के जरिये आगे बढ़ाया गया जो संबद्ध समय में उप प्रबंध निदेशक थी और उन्होंने निगरानी के लिए टेलीफोन नंबर एवं कर्मचारियों की पहचान की थी. ईडी ने कहा कि सभी मंजूरियां या तो उनके जरिये दी गई थीं या उनके द्वारा दी गई थीं तथा यह अवैध कृत्य उनके एनएसई में रहने के दौरान किया गया था.
अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने ईडी की ओर से अदालत में पेश होते हुए कहा, ‘‘उन्होंने अनुबंध प्रदान करने की शुरूआती बैठक में एनएसई का प्रतिनिधित्व किया. निगरानी के लिए टेलीफोन नंबर और कर्मचारियों की पहचान उनके द्वारा की गई थी.’’ उन्होंने दलील दी, ‘‘हमारे पास कई लोगों के बयान हैं जो उस वक्त एनएसई में काम कर रहे थे. उन सभी ने बताया कि उन्होंने (रामकृष्ण ने) टेलीफोन नंबर और कर्मचारियों की पहचान की. इन लोगों का उनसे आमना-सामना कराये जाने पर, उन्होंने (रामकृष्ण) ने यह बात स्वीकार की. आरोपों से इनकार नहीं किया. पूरी आपराधिक साजिश की सरगना याचिकाकर्ता ही है.’’
ईडी के मुताबिक, फोन टैपिंग मामला 2009 से 2017 की अवधि तक का है , जब एनएसई के पूर्व सीईओ रवि नारायण, रामकृष्ण, कार्यकारी उपाध्यक्ष रवि वाराणसी और हेड (प्रीमाइसेस) महेश हल्दीपुर तथा अन्य ने एनएसई एवं इसके कर्मचारियों से धोखाधड़ी करने की कथित साजिश रची थी. रामकृष्ण को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित एनएसई को-लोकेशन घोटाले में गिरफ्तार किया था. उन्हें 14 जुलाई को ईडी ने हिरासत में ले लिया.