विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संगठन से हटने के फैसले पर गहरी चिंता जताई है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह निर्णय वैश्विक स्वास्थ्य और लाखों लोगों की भलाई के लिए नुकसानदायक हो सकता है। डब्ल्यूएचओ ने उम्मीद जताई कि अमेरिका इस फैसले पर दोबारा विचार करेगा।
डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा, “हम इस घोषणा पर खेद जताते हैं कि अमेरिका संगठन से बाहर निकलने का इरादा रखता है। हम चाहते हैं कि अमेरिका अपने फैसले पर पुनर्विचार करे ताकि दुनियाभर के लोगों के स्वास्थ्य को सुरक्षित किया जा सके।”
राष्ट्रपति ट्रंप ने यह कदम अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में उठाया और डब्ल्यूएचओ पर आरोप लगाया कि उसने कोविड-19 महामारी को सही तरीके से नहीं संभाला। डब्ल्यूएचओ ने जोर देकर कहा कि उसने अमेरिकी नागरिकों समेत दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि पिछले 70 वर्षों में अमेरिका और डब्ल्यूएचओ ने साथ मिलकर चेचक को खत्म किया और पोलियो के उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय काम किया।
अमेरिका 1948 में डब्ल्यूएचओ का संस्थापक सदस्य बना था और संगठन के विभिन्न अभियानों में अहम योगदान दिया है। पिछले कुछ वर्षों में, अमेरिका के सहयोग से डब्ल्यूएचओ ने अपने कामकाज में बड़े सुधार किए हैं। इस फैसले पर वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी चिंता जताई है। डच वायरोलॉजिस्ट मैरियन कूपमैन्स ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग के लिए हानिकारक बताया। वहीं, वैक्सीनेशन विशेषज्ञ प्रोफेसर पीटर होटेज ने कहा कि यह निर्णय खासकर नई बीमारियों के बढ़ते खतरे के बीच अमेरिका की जैव सुरक्षा और महामारी की तैयारियों को कमजोर करेगा वहीं डब्ल्यूएचओ ने अपील की है कि अमेरिका वैश्विक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करे।- (IANS)