पीएम मोदी ने शनिवार को सरुसजाई स्टेडियम में ‘झुमोइर बिनंदिनी’ कार्यक्रम से पहले गुवाहाटी में एक भव्य रोड शो किया, जहां उन्होंने राज्य की चाय जनजाति और आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाने में असम सरकार के प्रयासों की सराहना की।
झुमोइर बिनंदिनी’ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है जो पारंपरिक झुमोइर नृत्य को समर्पित है, जो असम के चाय बागानों में गहराई से निहित एक लोक कला है। आदिवासी और चाय जनजाति समुदायों द्वारा किया जाने वाला यह नृत्य समावेशिता, एकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है, जो इस क्षेत्र की विविध विरासत को दर्शाता है।
सभी कलाकारों की तैयारी, हर तरफ नजर आ रही
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आज असम में यहां एक अद्भुत माहौल है। ऊर्जा से भरा हुआ माहौल है। उत्साह, उल्लास और उमंग से ये पूरा स्टेडियम गूंज रहा है। झुमोइर नृत्य के आप सभी कलाकारों की तैयारी, हर तरफ नजर आ रही है। इस जबरदस्त तैयारी में चाय बागानों की सुगंध भी है, और उनकी सुंदरता भी है। उन्होंने कहा कि चाय की ख़ुशबू और चाय के रंग को एक चाय वाले से ज्यादा कौन जानेगा? इसलिए, झुमोइर और बगान संस्कृति से जैसे आपका खास रिश्ता है ना, वैसे मेरा भी रिश्ता है।
60 से भी ज्यादा देशों के राजदूत असम में मौजूद
उन्होंने आगे कहा कि इतनी बड़ी संख्या में सभी कलाकार जब झुमोइर नृत्य करेंगे, तो वो अपने-आप में एक रिकॉर्ड बनाएगा। इस तरह के भव्य आयोजनों से असम का गौरव तो जुड़ा ही है, इसमें भारत की महान विविधता भी दिखाई देती है और अभी मुझे बताया गया कि 60 से भी ज्यादा दुनिया के अलग-अलग देशों के जो राजदूत भी असम को अनुभव करने के लिए यहां मौजूद हैं।
असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा
पीएम मोदी ने कहा, “एक समय था, जब देश में असम और पूर्वोत्तर के विकास की भी उपेक्षा हुई और यहां की संस्कृति को भी नजरअंदाज किया गया। लेकिन, अब पूर्वोत्तर की संस्कृति का ब्रांड एंबेसडर खुद मोदी ही बन चुका है। मैं असम के काजीरंगा में रुकने वाला, दुनिया को उसकी जैव विविधता के बारे में बताने वाला पहला प्रधानमंत्री हूं। और अभी हिमंत दा ने इसका वर्णन किया और आप सबने खड़े होकर के धन्यवाद प्रस्ताव दिया। हमने कुछ ही महीने पहले असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा भी दिया है। असम के लोग अपनी भाषा के इस सम्मान का इंतजार दशकों से कर रहे थे। इसी तरह, चराइदेव मोईदाम को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में भी शामिल कराया गया है। इसमें भी भाजपा सरकार के प्रयासों की बड़ी भूमिका रही है।
लसित बोरफुकन को भी किया याद
असम के गौरव वीर सपूत लसित बोरफुकन, जिन्होंने मुगलों से लोहा लेकर असम की संस्कृति और पहचान की रक्षा की थी। हमने उनके 400वें जन्मदिवस को इतने व्यापक स्तर पर मनाया, गणतंत्र दिवस में लसित बोरफुकन की झांकी भी शामिल हुई थी और देशभर के लोगों ने उनको नमन किया था। यहां असम में उनकी 125 फुट की कांस्य प्रतिमा भी बनाई गई है। इसी तरह, आदिवासी समाज की विरासत को सेलिब्रेट करने के लिए हमने जनजातीय गौरव दिवस मनाने की शुरुआत भी की है। और असम के राज्यपाल तो स्वयं ही हमारे लक्ष्मण प्रसाद जी आदिवासी समाज की संतान हैं और आज अपने पुरुषार्थ से यहां पहुंचे हुए हैं। देश में जनजातीय समाज के जो नायक-नायिकाएँ रहें हैं, उनके योगदान को अमर बनाने के लिए आदिवासी म्यूज़ियम्स भी बनाए जा रहे हैं।
टी-ट्राइब के बच्चों के लिए 100 से ज्यादा मॉडल टी गार्डन स्कूल
भाजपा सरकार असम का विकास भी कर रही है और यहां के ‘टी ट्राइब’ की सेवा भी कर रही है। बागान कर्मियों की आय बढ़े, इस दिशा में Assam Tea Corporation के कामगारों के लिए बोनस की घोषणा भी की गई है। खासकर, बागानों में काम करने वाली हमारे बहनें, हमारी बेटियां, गर्भावस्था में उनके सामने आय का संकट पैदा हो जाता था। आज ऐसी करीब डेढ़ लाख महिलाओं को गर्भावस्था में 15 हजार रुपये की सहायता दी जा रही है, ताकि उन्हें खर्च की चिंता न रहे। हमारे इन परिवारों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए असम सरकार चाय बागानों में 350 से ज्यादा आयुष्मान आरोग्य मंदिर भी खोल रही है। टी-ट्राइब के बच्चों के लिए 100 से ज्यादा मॉडल टी गार्डन स्कूल भी खोले गए हैं। करीब 100 स्कूल और भी खोले जा रहे हैं। टी ट्राइब के युवाओं के लिए ओबीसी कोटा में 3 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था भी हमने की है। असम सरकार भी इन युवाओं को स्वरोजगार के लिए 25 हजार रुपए की सहायता दे रही है। टी इंडस्ट्री और उसके कामगारों का ये विकास आने वाले समय में पूरे असम के विकास को गति देगा। हमारा पूर्वोत्तर विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा।