प्रधानमंत्री मणिपुर में सर्वदलीय ‘शांति रैली’ करें, ‘हम इसमें शामिल होंगे’: अधीर
नयी दिल्ली. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मणिपुर में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने और पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को समाप्त करने के लिए वहां एक “शांति रैली” आयोजित करने का आग्रह किया है. चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को मणिपुर के लोगों को बताना चाहिए कि उन्हें डरने की जरूरत नहीं है तथा राज्य में शांति बहाली के लिए पूरा देश उनके साथ खड़ा है.
उन्होंने ‘इंडिया टीवी’ पर कार्यक्रम ‘आप की अदालत’ में कहा कि मोदी को जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य में शांति रैली आयोजित करने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करना चाहिए और ”हम इसमें शामिल होंगे.” चौधरी ने कहा, ”हमने यह सुझाव सदन में लिखित रूप में दिया, लेकिन वे सहमत नहीं हुए. यह ‘बहुमत का बाहुबली’ के अलावा और कुछ नहीं है.” यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री के मणिपुर पर बोलने से पहले ही विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन क्यों किया, चौधरी ने कहा, ”उनके भाषण के दौरान, हमने दो घंटे तक उनके द्वारा मणिपुर पर बोलने का इंतजार किया, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. यहां तक कि उनके भाषण के दौरान उनके मंत्री भी ऊंघने लगे थे. आप दृश्य देख सकते हैं.”
चौधरी ने कहा, ”उन्होंने अपने भाषण के अंत में केवल तीन मिनट के लिए मणिपुर मुद्दे पर बात की. अगर हमें पता होता कि वह मणिपुर पर बोलेंगे, तो हम बहिर्गमन नहीं करते.” उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ उनकी लड़ाई “व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक और वैचारिक है.”
तृणमूल कांग्रेस को ”चोरों की पार्टी” बताने संबंधी उनकी टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने कहा, ”पटना (विपक्षी बैठक) का विषय अलग था और बंगाल का विषय अलग. बंगाल में पंचायत चुनाव हो रहे थे…ऐसे समय जब ‘इंडिया’ गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर बनाया गया है और नरेन्द्र मोदी चिंतित हो गए हैं, मेरे लिए इस पर अधिक प्रतिक्रिया देना असंभव है.” यह पूछे जाने पर कि क्या पश्चिम बंगाल में अभी भी हिंसा हो रही है, चौधरी ने कहा, ”हां. कुछ भी ठीक नहीं है. हम जो करते हैं, स्थानीय स्तर पर करते हैं. इसका मतलब ये नहीं है कि सब ठीक है.”
उन्होंने कहा, ”तालाब और नदी के बीच एक अंतर है. मेरे लिए, बंगाल एक तालाब है और भारत एक नदी है. स्वाभाविक रूप से, हम तालाब की तुलना में नदी को अधिक प्राथमिकता देंगे. मैं वही कहता हूं जो मैं कहना चाहता हूं. मैं छींटाकशी से या किसी की पीठ पीछे बात नहीं करता.” यह पूछे जाने पर कि उनका सबसे बड़ा राजनीतिक शत्रु कौन है, मोदी या ममता बनर्जी, चौधरी ने कहा, ”मैं किसी को दुश्मन नहीं मानता, लेकिन वे विरोधी हैं. मैं अपने प्रधानमंत्री का पूरा सम्मान करता हूं और मैं ममता जी का भी सम्मान करता हूं क्योंकि वह हमारी मुख्यमंत्री हैं. लेकिन जब लोगों के मुद्दों की बात होगी तो मैं उनकी आवाज उठाना जारी रखूंगा. उनके खिलाफ मेरी लड़ाई व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक और वैचारिक है.”
इस सवाल पर कि क्या बनर्जी के साथ समझौते की कोई संभावना है, चौधरी ने जवाब दिया, ”राजनीति संभव करने की कला है.” चौधरी को प्रधानमंत्री मोदी पर टिप्पणी के चलते सदन से निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी टिप्पणी को अलग तरह से लिया गया जब उन्होंने ‘नीरव’ का उल्लेख किया जिसका अर्थ ‘चुप रहना’ होता है.