श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास रेलवे की जमीन पर बने बाकी के 135 मकान ध्वस्त किये जाएंगे, दिया नोटिस

मथुरा. मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास स्थित नयी बस्ती क्षेत्र में रेलवे की भूमि पर बने कई मकानों को ध्वस्त किये जाने के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को बचे हुए मकानों में रह रहे लोगों को नोटिस भेजकर उन्हें तीन दिन के अंदर इलाका खाली करने को कहा गया है.

आगरा के मंडलीय रेल प्रबंधक कार्यालय में मुख्य अभियंता नितिन गर्ग ने बताया, “बुधवार को रोका गया ध्वस्तीकरण का काम तीन दिन बाद फिर से शुरू होगा.” उन्होंने बताया कि अब तक 60 मकानों को तोड़ा जा चुका है जबकि 135 मकानों को तोड़ने का नोटिस दिया गया है.

गर्ग ने कहा कि वे मकान पिछले पांच दशकों के दौरान श्रीकृष्ण जन्मभूमि और अमरनाथ स्कूल के बीच रेलवे लाइन के दोनों किनारों पर अवैध रूप से बनाए गए थे. रेलवे की जमीन खाली करने के लिए तीन बार नोटिस दिए गए मगर अतिक्रमणकारियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ.

नोटिस पाने वाले लोगों के वकील याकूब खान ने दावा किया कि विध्वंस अभियान अवैध है क्योंकि मामला अदालत में लंबित है और उसकी अगली सुनवाई आगामी 21 अगस्त को होनी है. उन्होंने कहा कि वह विध्वंस कार्य के खिलाफ अवमानना का मामला दायर करेंगे. बुधवार को जिन घरों को ध्वस्त किया गया और जिन्हें खाली करने का नोटिस दिया गया, उनमें से अधिकांश मुस्लिम समुदाय के लोगों के हैं.

उधर, मंडल मुख्य अभियंता नितिन गर्ग ने अदालत में किसी कानूनी विवाद के लंबित होने से इनकार किया है. अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश घरों के मालिकों के अनुरोध पर विध्वंस कार्य को फिलहाल रोक दिया गया था. इससे पहले, कुछ महिलाओं ने काम रोकने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय पुलिस, पीएसी, आरपीएफ और जीआरपी को देखकर उन्होंने ज्यादा प्रतिरोध नहीं किया.

मथुरा से भाजपा सांसद हेमा मालिनी के प्रतिनिधि जनार्दन शर्मा ने बताया कि 12 किलोमीटर लंबी मीटर गेज रेल लाइन को ब्रॉड गेज में बदलने के लिए जमीन खाली कराई जा रही है. इसमें पांच स्टेशन स्थापित करने और हाई स्पीड ट्रेन को चलाने के लिए बुनियादी ढांचा बनाने की योजना है.

उन्होंने कहा कि इससे तीर्थयात्रियों को मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन पर ट्रेन बदले बिना वृन्दावन जाने की सुविधा मिलेगी. रेल अधिकारियों के मुताबिक दोनों तरफ का ट्रैक साफ होने तक ध्वस्तीकरण का काम जारी रहेगा. चतु? सम्प्रदाय वृन्दावन के प्रमुख फूलडोल महराज ने कहा कि आजादी से पहले जयपुर के तत्कालीन राजा द्वारा वृन्दावन में जयपुर मंदिर के निर्माण के वास्ते पत्थरों की ढुलाई के लिए मीटर गेज रेल लाइन बिछायी गयी थी.

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