संतों ने कर्नाटक सरकार से गोवध एवं धर्मांतरण रोधी कानूनों को बरकरार रखने की अपील की
बेंगलुरु. विभिन्न मठों के संतों ने कर्नाटक सरकार से गोवध एवं धर्मांतरण रोधी कानूनों को बरकरार रखने की अपील की है. यहां विभिन्न मठों के महंतों ने इस संबंध में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किए. संतों ने सरकार से यह सुनिश्चित करने की भी अपील की कि वह इन दोनों कानूनों को उसी रूप में लागू करे जिस रूप में वे हैं, न कि उन्हें शिथिल करे.
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने यहां जारी एक बयान में कहा कि यहां मल्लेश्वरम के यदुगिरि यतिराजा मठ में उसके द्वारा आयोजित ‘संत सम्मेलन’ में विभिन्न मठों के महंतों ने भाग लिया और राज्य में ‘धर्म’ के सिलसिले में नवीनतम घटनाक्रम पर चर्चा की. विहिप ने बताया कि सम्मेलन में गोवध, धर्मांतरण, लव जिहाद, हिंदू अविभाजित परिवार, पर्यावरण, दूसरों के साथ सद्भाव जैसे विषयों पर चर्चा की गई तथा सर्वसम्मति से दो प्रस्ताव पारित किए गए.
प्रस्तावों पर हस्ताक्षर करने वालों में यदुगिरि यतिराजा मठ के यदुगिरि यतिराजा नारायण रामानुज जीयर स्वामीजी, रामकृष्ण मिशन के चंद्रेशानंदजी, महालिंगेश्वर मठ के रविशंकर शिवाचार्य स्वामीजी समेत विभिन्न मठों के 14 महंत शामिल हैं. कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले एवं प्रचार के दौरान संकेत दिया था कि उसका इरादा पिछली भाजपा सरकार द्वारा लाए गए इन कानूनों को वापस लेने का है.
सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार धर्मांतरण रोधी कानून वापस लेने का फैसला कर भी चुकी है लेकिन उसने स्पष्ट किया है कि गोवध रोधी कानून को वापस लेने का कोई प्रस्ताव नहीं है. संत सम्मेलन में पारित पहले प्रस्ताव में कहा गया, ”कर्नाटक में लोग शांति, सद्भाव एवं भाईचारे के साथ रहें, उसके लिए जरूरी है कि कर्नाटक मवेशी वध रोकथाम एवं संरक्षण अधिनियम (गोवध रोधी कानून) को वर्तमान सरकार द्वारा वापस नहीं लिया जाए.”
दूसरे प्रस्ताव में कहा गया, ”देश में लोग शांति एवं सद्भाव से रहें, उसके लिए जरूरी है कि कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण अधिनियम (धर्मांतरण रोधी कानून) को वापस नहीं लिया जाए. सरकार से इसे लागू करने की अपील है.”