भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए हर साल लगभग 8% की आर्थिक वृद्धि बनाए रखनी होगी। यह बात वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कही गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यह वृद्धि दर आवश्यक है हालांकि इसे हासिल करने में वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
वहीं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान है कि 2027-28 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर और 2029-30 तक 6.3 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी। हालांकि, हालिया आर्थिक आंकड़े बताते हैं कि कुछ चुनौतियां भी हैं। जुलाई-सितंबर 2024 तिमाही में भारत की जीडीपी 5.4% बढ़ी जो RBI के 7% अनुमान से कम थी। इसी तरह, अप्रैल-जून 2024 तिमाही में भी वृद्धि अपेक्षा से कम रही। इसके बावजूद भारत 2023-24 में 8.2% वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ता अर्थव्यवस्था वाला देश बना रहा। इससे पहले, 2022-23 में 7.2% और 2021-22 में 8.7% की वृद्धि दर दर्ज की गई थी।
भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए वृद्धि दर का अनुमान 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया जबकि सरकार 6.4% वृद्धि की उम्मीद कर रही है। वहीं, 2025-26 में आर्थिक वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान है।
केंद्र सरकार लंबे समय तक स्थिर आर्थिक वृद्धि बनाए रखने के लिए अनुसंधान और विकास (R&D), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) और पूंजीगत वस्तु क्षेत्र को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है। इन प्रयासों का मकसद उत्पादन, नवाचार (इनोवेशन) को बढ़ावा देना और भारत को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है।