देश का निर्यात जुलाई में 16% घटकर 32.25 अरब डॉलर पर, व्यापार घाटा भी हुआ कम
थोक मुद्रास्फीति लगातार चौथे माह नकारात्मक दायरे में, जुलाई में शून्य से 1.36% नीचे
नयी दिल्ली. वैश्विक स्तर पर मांग में नरमी तथा पेट्रोलियम, रत्न और आभूषण एवं अन्य प्रमुख क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन से देश का कुल निर्यात इस साल जुलाई महीने में 15.88 प्रतिशत घटकर 32.25 अरब डॉलर रहा है. सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य महीने के दौरान आयात भी 17 प्रतिशत घटकर 52.92 अरब डॉलर रहा, जो बीते वर्ष के जुलाई माह में 63.77 अरब डॉलर था. आयात में कमी से व्यापार घाटा कम होकर 20.67 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले इसी महीने में 25.43 अरब डॉलर था.
हालांकि, व्यापार घाटा (आयात और निर्यात के बीच अंतर) जून के मुकाबले जुलाई में कुछ बढ.ा है. जून में यह 20.13 अरब डॉलर था.
आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान निर्यात 14.5 प्रतिशत घटकर 136.22 अरब डॉलर रहा. आलोच्य अवधि के दौरान आयात 13.79 प्रतिशत घटकर 213.2 अरब डॉलर रहा. इससे व्यापार घाटा 76.98 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले अप्रैल-जुलाई के दौरान 87.99 अरब डॉलर था.
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि वैश्विक चुनौतियां बनी हुई हैं. अमेरिका और यूरोप जैसे प्रमुख बाजारों समेत कई देशों के निर्यात और आयात में कमी आई है. इन दोनों क्षेत्रों से आयात लगातार कम हो रहा है. हालांकि, उन्होंने उम्मीद जतायी कि देश का वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात 2023-24 में बीते वित्त वर्ष के 776 अरब डॉलर के मुकाबले अधिक होगा.
बर्थवाल ने यह भी कहा कि पिछले दो साल से देश के निर्यात में ‘अच्छी वृद्धि’ हो रही थी. इस बात को ध्यान में रखते हुए इस साल के निर्यात आंकड़े को देखना चाहिए. सचिव ने कहा कि जो क्षेत्र बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, उसमें इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल है. इसका मतलब है कि भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखला से स्वयं को एकीकृत कर रहा है.
आंकड़ों के अनुसार, सोने का आयात जुलाई महीने में 47.73 प्रतिशत बढ.कर 3.5 अरब डॉलर रहा. तेल आयात जुलाई महीने में 36.65 प्रतिशत घटकर 11.75 अरब डॉलर रहा. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई अवधि में यह 23.4 प्रतिशत घटकर 55 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले इसी अवधि में 71.74 अरब डॉलर था. आलोच्य महीने में 30 प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में से 11 में ही सकारात्मक वृद्धि रही. इसमें लौह अयस्क, ऑयल मील, तिलहन, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं, कॉफी, चावल और औषधि शामिल हैं.
सेवा निर्यात इस साल जुलाई महीने में 27.17 अरब डॉलर रहने का अनुमान है जो पिछले साल इसी महीने में 24.26 अरब डॉलर रहा. आयात 14.85 अरब डॉलर रहने की संभावना है जो जुलाई, 2022 में 14.06 अरब डॉलर था. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान सेवा निर्यात 107.93 अरब डॉलर रहने का अनुमान है जो एक साल पहले इसी अवधि में 100.35 अरब डॉलर था.
फियो (निर्यात संगठनों का महासंघ) के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने कहा कि वृद्धि में गिरावट और जिंसों के दाम में नरमी के साथ चीन और यूरोपीय संघ जैसी अर्थव्यवस्थाओं में सुस्त वैश्विक मांग के कारण हाल के महीनों में निर्यात में लगातार गिरावट आ रही है. फियो प्रमुख ने कहा, ”हमारा मानना ??है कि त्योहार और नये साल के ऑर्डर या ऑर्डर बुकिंग के साथ अगले कुछ महीनों में चीजों में सुधार होने की संभावना है है. इससे निर्यात में अच्छी वृद्धि की उम्मीद है.”
थोक मुद्रास्फीति लगातार चौथे माह नकारात्मक दायरे में, जुलाई में शून्य से 1.36 प्रतिशत नीचे
खाद्य वस्तुओं विशेषरूप से सब्जियों के दाम आसमान पर पहुंचने के बावजूद थोक मुद्रास्फीति जुलाई में लगातार चौथे माह नकारात्मक दायरे में बनी रही. जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति शून्य से 1.36 प्रतिशत नीचे रही है.
सब्जियों की कीमतों में 62.12 प्रतिशत की वृद्धि के कारण थोक मुद्रास्फीति जून में शून्य से 4.12 प्रतिशत नीचे रही थी.
पिछले साल जुलाई में यह 14.07 प्रतिशत थी.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 14.25 प्रतिशत रही, जो जून में 1.32 प्रतिशत थी.
वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा, ” जुलाई, 2023 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से खनिज तेल, बुनियादी धातुओं, रसायन व रसायन उत्पादों, कपड़ा और खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी के कारण आई है.” केयरएज की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि यदि खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ.ती रहीं, तो आने वाले महीनों में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति सकारात्मक दायरे में आ सकती है.
ईंधन और बिजली खंड की मुद्रास्फीति जुलाई में शून्य से 12.79 प्रतिशत नीचे रही, जो जून में शून्य से 12.63 प्रतिशत नीचे थी.
विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति मई में -2.51 प्रतिशत नीचे रही. जून में यह शून्य 2.71 प्रतिशत नीचे थी. बार्कलेज के ईएम एशिया (चीन को छोड़कर) आर्थिक अनुसंधान के प्रमुख राहुल बजोरिया ने कहा कि मासिक आधार पर थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट की धीमी गति करीब पूरी तरह से सब्जियों की कीमतों के कारण है जो वास्तव में बढ.ी हैं.
सब्जियों के अलावा अनाज तथा दालों में वृद्धि देखी गई जहां मुद्रास्फीति क्रमश? 8.31 प्रतिशत और 9.59 प्रतिशत रही. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बढ.ती खुदरा महंगाई को काबू में रखने के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से पिछले सप्ताह लगातार तीसरी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा था.
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था, ”मुद्रास्फीति को लेकर अभी काम खत्म नहीं हुआ है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य वस्तुओं, ऊर्जा के दाम में उतार-चढ.ाव तथा भू-राजनीतिक तनाव बने रहने तथा मौसम संबंधित अनिश्चितताओं के कारण मुद्रास्फीति को लेकर जोखिम बना हुआ है.” आरबीआई ने खाद्य वस्तुओं के दाम के कारण उत्पन्न दबाव का हवाला देते हुए चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 5.1 प्रतिशत से बढ.ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है. जुलाई-सितंबर तिमाही में महंगाई दर 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो पहले के 5.2 प्रतिशत के अनुमान से ज्यादा है.