वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। रिपोर्ट में बताया गया कि मार्च 2024 तक देश में 7.75 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) सक्रिय हैं। इसके तहत किसानों को 9.81 लाख करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।
केंद्र सरकार लगातार किसानों को आसान और सस्ते लोन देने के प्रयास कर रही है। खासकर छोटे और सीमांत किसानों को लाभ देने के लिए केसीसी का विस्तार किया गया है जिससे खेती की उत्पादकता और किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिल रही है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 1.24 लाख किसान क्रेडिट कार्ड मत्स्य पालन और 44.40 लाख केसीसी पशुपालन से जुड़े लोगों को जारी किए गए हैं।
सरकार ने किसानों को तेजी से कर्ज देने और ब्याज सब्सिडी स्कीम (MISS) को और प्रभावी बनाने के लिए किसान ऋण पोर्टल (KRP) शुरू किया है। इसके जरिए कर्ज मंजूरी और दावों के निपटारे की प्रक्रिया को डिजिटलीकृत किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 31 दिसंबर 2024 तक 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक दावों का निपटारा किया जा चुका है। वर्तमान में 5.9 करोड़ किसान केसीसी योजना के तहत लाभान्वित हो रहे हैं और उन्हें किसान ऋण पोर्टल के माध्यम से जोड़ा गया है। इससे किसानों को जल्दी और पारदर्शी तरीके से लोन मिल सकेगा।
सरकार ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे अपने कुल लोन का कम से कम 40 प्रतिशत प्राथमिकता वाले क्षेत्रों, जैसे कृषि और छोटे किसानों के लिए आवंटित करें। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि छोटे और सीमांत किसानों को आसानी से कर्ज मिल सके और वे महंगे निजी कर्जदाताओं पर निर्भर न रहें।
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि सरकार के इन प्रयासों से गैर-बैंकिंग कर्जदाताओं (जैसे साहूकार) पर किसानों की निर्भरता 1950 में 90 फीसदी से घटकर 2022 में सिर्फ 25 फीसदी रह गई है। यानी अब ज्यादातर किसान बैंक और संस्थागत स्रोतों से लोन ले रहे हैं जिससे उनकी आर्थिक सुरक्षा बढ़ी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2014-15 से 2024-25 तक कृषि क्षेत्र को दिए जाने वाले लोन में 12.98% की औसत वार्षिक वृद्धि हुई है। 2014-15 में जहां किसानों को 8.45 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया गया था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 25.48 लाख करोड़ रुपये हो गया।
रिपोर्ट में खास बात यह है कि छोटे और सीमांत किसानों को मिलने वाले लोन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। छोटे किसानों को 2014-15 में 3.46 लाख करोड़ रुपये (41%) का लोन मिला था जो 2023-24 में बढ़कर 14.39 लाख करोड़ रुपये (57%) हो गया। इसका मतलब है कि अब ज्यादा छोटे किसान बैंकों से लोन लेकर अपनी खेती में सुधार कर पा रहे हैं।