ज्ञानवापी परिसर में पांचवें दिन भी शाम पांच बजे तक चला सर्वेक्षण का कार्य

वाराणसी/प्रयागराज. भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने मंगलवार को पांचवें दिन अपने सर्वेक्षण में ज्ञानवापी परिसर में मापन, मैपिंग और फोटोग्राफी का कार्य किया. शासकीय अधिवक्ता राजेश मिश्रा ने यह जानकारी दी. मिश्रा ने बताया कि टीम ने तीन हिस्सों में बंट कर परिसर के उत्तरी दीवार, गुम्बद और तहखानों का सर्वेक्षण किया. उन्होंने कहा कि टीम परिसर का गहनता से मापन, मैपिंग और फोटोग्राफी का कार्य कर रही है. सर्वेक्षण के दौरान टीम के साथ मुस्लिम पक्ष के लोग भी मौजूद रहे.

उन्होंने कहा कि सर्वे का कार्य सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक चला और दोपहर भोजन के लिए बीच में दो घंटे तक सर्वेक्षण रोका गया. सर्वे का काम बुधवार को भी जारी रहेगा. हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि अदालत के आदेश के अनुसार परिसर के अंदर विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन किया जा रहा है. हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष चतुर्वेदी ने बताया कि पुरातात्विक सर्वेक्षण की टीम अपने हिसाब से साक्ष्य को इकठ्ठा कर रही है और आज परिसर के गुम्बद एवं मंडप के अलावा तहखानों में सर्वे का काम किया गया है.

उच्­च न्­यायालय के आदेश के बाद पिछले शुक्रवार से भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की टीम ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वे का काम कर रही है. शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष के लोग सर्वेक्षण का बहिष्कार करते हुए सर्वे में शामिल नहीं हुए थे. हालांकि सर्वेक्षण के दूसरे दिन शनिवार से मुस्लिम पक्ष सर्वे में शामिल रहा है.

ज्ञानवापी परिसर को सील करने के अनुरोध वाली याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय में खारिज

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वेक्षण को प्रभावित किए बगैर संपूर्ण ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को सील करने के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश देने के अनुरोध वाली जनहित याचिका मंगलवार को खारिज कर दी.
याचिकाकर्ताओं ने ये जनहित याचिका वापस लेने और उचित कानूनी मंच से संपर्क करने का अदालत से अनुरोध किया था, जिस पर मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ ने यह आदेश पारित किया.

पिछले बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर राज्य सरकार और जिला प्रशासन को संपूर्ण ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को सील करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था, ताकि गैर हिंदुओं द्वारा हिंदू चिह्नों और प्रतीकों को क्षति ना पहुंचाई जा सके. याचिका में यह अनुरोध भी किया था कि जिला न्यायाधीश, वाराणसी की अदालत में लंबित वादों के निस्तारण होने तक पुराने मंदिर क्षेत्र में गैर हिंदुओं को जाने से रोकने के लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन को निर्देश दिया जा सकता है.

यह याचिका जितेंद्र सिंह विसेन, राखी सिंह और अन्य लोगों द्वारा दायर की गई थी. याचिका में कहा गया है कि मंदिर को पूर्व में कई बार विभिन्न मुस्लिम आक्रांताओं ने क्षतिग्रस्त किया और 1669 में मुस्लिम शासक औरंगजेब के निर्देश पर इस पर हमला किया गया था. याचिका में कहा गया कि मौजूदा याचिका सदियों पुराने श्री आदि विश्वेश्वर मंदिर के अवशेषों और शिवलिंग को बचाने के लिए दायर की जा रही है.

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