वेयर हाउस रोड, मंगला चौक से आजाद चौक मार्ग, जरहाभाठा मंदिर चौक से इंदु चौक, व्यापार बिहार रोड, 27 खोली चौक से साईं मंदिर तक, कुदुदंड मार्ग, सरकंडा, नेहरू नगर, हेमूनगर, शंकर नगर, नयापारा में ज्यादा हे समस्या।By Shashank Shekhar Bajpai Publish Date: Mon, 23 Dec 2024 04:48:20 PM (IST)Updated Date: Mon, 23 Dec 2024 04:48:20 PM (IST)सरकंडा उद्यानिकी विभाग के सामने बिजली तार को बेल ने पूरी तरह से जकड़ रखा है। फोटो- नईदुनिया।HighLightsखंभे में आए दिन बिजली की तकनीकी खराबी आती है। बिजली कटने की वजह से घंटों परेशान होते हैं शहरवासी। स्टाफ की कमी, संसाधन का अभाव बताते हैं अधिकारी।शिव साेनी, बिलासपुर। शहर में बिजली मरम्मत पूरी तरह ठप पड़ी हुई है। बिजली वितरण कंपनी न तो लटकते तार को ठीक कर रही है और न ही तार के संपर्क में आने वाले वृक्षों की छंटाई कर रही है। अधिकांश बिजली के खंभे को पत्तियां और बेल इस तरह जकड़ चुके हैं कि वह खंभे कम वृक्ष ज्यादा नजर आते हैं। इसके चलते ही खंभे में आए दिन बिजली की तकनीकी खराबी आती है और लोगों को घंटो परेशान होना पड़ता है।शहर में बिजली सप्लाई व्यवस्था कितनी बदत्तर है, यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है। ऐसा कोई दिन नहीं जब सप्लाई बंद की समस्या से उपभोक्ता न जूझते हों। पहले ठंड के सीजन में कम से कम राहत रहती थी। लेकिन, इस बार इस सीजन में भी समस्याओं ये दो-चार होना पड़ रहा है।हालत यह है कि आम उपभोक्ता के सामने बिजली समस्या की बात भी निकल जाए तो वे आग बबूला हो जाते हैं। वे कंपनी को खूब कोसते भी नजर आते हैं। उनकी नाराजगी जायज भी है। हर माह पूरा बिजली बिल भुगतान करने के बाद यदि बेहतर सुविधा नहीं मिलेगी तो इस तरह की नाराजगी होना जाहिर है।बिजली की समस्या से जूझ रहे लोग शहरवासी सालभर से बिजली बंद की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके पीछे की प्रमुख वजह कंपनी के अधिकारी हैं, जो कभी स्टाफ की कमी तो कभी संसाधन का अभाव बताते हैं। ऐसे कई बहाने कंपनी के पास हैं, जिसका हवाला उपभोक्ताओं को दिया जाता है।जबकि हकीकत यह है कि कंपनी मेंटेनेंस ही नहीं करती। इसका जीता- जागता उदाहरण बिजली खंभे की अव्यवस्था है। शहर के किसी भी हिस्से में चले जाइए, वहां के खंभों की हालत यह है कि वह लोहे के खंभे कम और वृक्ष अधिक नजर आते हैं।कंपनी को इतनी फुर्सत नहीं है कि इन वृक्षों को जकड़े बेल या पत्तियों की सफाई कराए। बेल, पत्तियां तार व अन्य उपकरणों को इस कदर जकड़ चुके हैं कि इसकी वजह से आए दिन चिंगारी उठती है तो फिर कई बार जंपर कटने के अलावा तार टूटने के कारण क्षेत्र में बिजली बंद हो जाती है। आग लगने की घटनाएं तो आम बात हो गई है।दौरा न निरीक्षण, चेंबर में बैठकर नौकरी कर रहे उच्चाधिकारी जिन क्षेत्रों में अव्यवस्था है, वहां के उपभोक्ता हमेशा इसकी शिकायत भी करते हैं। लेकिन, मैदानी अमला मेंटेनेंस के नाम पर केवल औपचारिकता पूरी करता है। उच्चाधिकारी को तो निरीक्षण करने के तक फुर्सत नहीं है। अधिकारियों की अनदेखी के कारण ही मैदानी अमला भी उपभोक्ताओं की इस जटिल समस्या को नजरअंदाज कर देते हैं।गेट, तो कहीं बिजली तार की तरह आ रहे नजर मिशन अस्पताल रोड में सड़क के ऊपर से गुजरे तार को बेल ने जकड़ लिया है। पत्तियां पूरी तरह सूख चुकी हैं। दूर से यह गेट की तरह नजर आते हैं। सरकंडा उद्यानिक विभाग के सामने तो तार को देखकर हैरान हो जाएंगे। मेन लाइन के तीनों तार पर बेल फैल गई है। यह तार कम और बेल अधिक नजर आते हैं। यह अव्यवस्था हर जगह है। इससे साफ जाहिर है कि बिजली कंपनी मेंटेनेंस के नाम पर केवल औपचारिकता ही पूरी करती है।यह भी पढ़ें- जिम्मेदार बेपरवाह, एलईडी हेडलाइट लिए सड़क पर दौड़ रहे हजारों ‘यमराज’क्या कहते हैं उपभोक्ता केवल बकाया वसूलना जानती है बिजली कंपनी- कुदुदंड निवासी संतोष राणा का कहना है कि बिजली बंद की समस्या से जनता त्रस्त है। वह किसी की नहीं सुनते। फ्यूज काल सेंटर पर बंद की सूचना देना और सुधार कराना सबसे जटिल काम है। इस अव्यवस्थाा को लेकर कई बार शिकायत की गई। लेकिन, जनता को राहत नहीं मिली।मरम्मत न होना, बिजली बंद की सबसे बड़ी वजह- मंगला निवासी नवीन कश्यप का कहना है कि सालभर से लोग बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं। कभी तार टूटना तो कभी खंभे से चिंगारी उठना, मंगला क्षेत्र में आम बात हो गई है। खराबी छोटी हो या बड़ी, सुधार में पांच से सात घंटे लग जाते हैं। बिजली समस्या की मुख्य वजह मरम्मत का अभाव है।यह भी पढ़ें- निकाय चुनाव: कमल-पंजा, तरबूज, बाल्टी, कुआं, हेलमेट जैसे चिह्नों पर लड़ेंगे चुनावकरंट का हर समय मंडराता रहता है खतरा- सिरगिट्टी नयापारा निवासी कमलेश साहू ने बताया कि वह जिस क्षेत्र में रहते हैं, वहां तार से लेकर बिजली खंभे व्यवस्थित नहीं है। इसके कारण हर समय करंट का खतरा मंडराते रहता है। समय पर वृक्षों की छटाई नहीं होने के कारण खंभे पेड़ की तरह नजर आ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि कंपनी को यह नजर नहीं आते हैं।
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अंधेरे में बिजली: सावधान… ये पेड़ नहीं, बिजली के खंभे हैं
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