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बाघिन की दहाड़ से थर्रा उठा पसान-मरवाही का जंगल, ग्रामीणों को किया सतर्क

बाघिन की दहाड़ से थर्रा उठा पसान-मरवाही का जंगल, ग्रामीणों को किया सतर्क
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बाघिन की दहाड़ से थर्रा उठा पसान-मरवाही का जंगल, ग्रामीणों को किया सतर्क

अचानकमार टाइगर रिजर्व से निकलकर बाघिन कभी भी कटघोरा वन मंडल में पहुंच सकती है। उसके गले में लगी कॉलर आईडी की वजह से वन विभाग को उसकी लोकेशन की जानकारी मिल रही है। फिलहाल बाघिन कोडगार के निकट जंगल में विचरण कर रही है।By Shashank Shekhar Bajpai Publish Date: Mon, 23 Dec 2024 06:57:30 PM (IST)Updated Date: Mon, 23 Dec 2024 06:57:30 PM (IST)जंगल में विचरण करती बाघिन। फोटो- प्रतीकात्मक।HighLightsवन विभाग को कॉलर आईडी से मिल रही बाघिन की पूरी लोकेशन।वन अमले ने मरवाही और पसान के बीच निगरानी शुरू कर दी है।हाथियों के दल के विचरण से कटघोरा वन मंडल पहले से थर्राया है। नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा। कटघोरा वन मंडल के अंतिम छोर पसान से लगे मारवाही क्षेत्र के बम्हनी जंगल में बाघिन ने दस्तक दे दी है। गले में कॉलर आईडी लगे होने की वजह से वन विभाग को उसके पल-पल की गतिविधियों का पता चल रहा है। अचानकमार टाइगर रिजर्व से विचरण करते पहुंची बाघिन कभी भी कटघोरा वन मंडल में पहुंच सकती है।वन विभाग ने मरवाही वन क्षेत्र से लगे पाली, चैतमा व पसान क्षेत्र के ग्रामीणों को सतर्क किया है। हाथियों के दल के विचरण से कटघोरा वन मंडल पहले से थर्राया है। अब बाघिन के भी दस्तक देने की जानकारी सामने आई है। वन अमले की टीम ने मरवाही और पसान के बीच निगरानी शुरू कर दी है।बाघिन ने किया है गाय का शिकार बाघिन का विचरण क्षेत्र कोडगार के निकट जंगल को बताया जा रहा है। मरवाही क्षेत्र में बाघिन ने गाय को भी अपना शिकार बनाया है। उसके पंजे के निशान भी मिले हैं। अचानकमार टाइगर रिजर्व व मरवाही जंगल के बीच दो अन्य बाघों के भी विचरण की जानकारी सामने आई है।वन विभाग के अधिकारी का कहना है कि पसान और पाली वन परिक्षेत्र पुराने समय से ही बाघों का रहवास क्षेत्र रहा है। बीते वर्ष भी पाली के चैतुरगढ़ के निकट बाघ को देखा गया था।यह भी पढ़ें- जिम्मेदार बेपरवाह, एलईडी हेडलाइट लिए सड़क पर दौड़ रहे हजारों ‘यमराज’टाइगर रिजर्व का दल भी कर रहा निगरानी अचानकमार टाइगर रिजर्व की टीम भी निगरानी में लगी हुई। बाघिन जंगल से निकल रहवास क्षेत्र की ओर न पहुंच जाए इसका ध्यान रखा जा रहा है। सप्ताह भर पहले ही बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर कॉलर आईडी बांधा गया है। अचानकमार से पेंड्रा जंगल होते हुए मरवाही वन परिक्षेत्र पहुंची है। बाघिन की सुरक्षा को देखते हुए दोनों वन मंडल एक-दूसरे के संपर्क में लगे हुए हैं।

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